#NewsBytesExplainer: महुआ मोइत्रा को लोकसभा से क्यों निष्कासित किया गया और मामले में कब क्या हुआ?
पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में आज तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। सदन की आचार समिति की रिपोर्ट के आधार पर महुआ के खिलाफ ये कार्रवाई हुई है और समिति ने जांच के बाद उन्हें निष्कासित करने की सिफारिश की थी। महुआ ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए अपने खिलाफ कार्रवाई को गलत बताया है। आइए जानते हैं कि महुआ पर क्या आरोप थे और क्या-क्या हुआ।
कैसे और कब हुई मामले की शुरुआत?
पूरे मामले की शुरुआत अक्टूबर में महुआ के पूर्व प्रेमी और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्रई की शिकायत से हुई। देहाद्रई ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को एक पत्र लिखते हुए कहा कि महुआ ने लोकसभा पोर्टल के अपने अकाउंट का आईडी-पासवर्ड हीरानंदानी समूह के CEO दर्शन हीरानंदानी को दे रखा है और वो इसके जरिए अडाणी समूह के खिलाफ सवाल पूछते हैं। उन्होंने कहा कि इसके बदले हीरानंदानी महुआ को नकद और उपहार देते हैं।
देहाद्रई ने और क्या आरोप लगाए थे?
देहाद्रई के अनुसार, महुआ ने अपने कार्यकाल के दौरान जो 61 सवाल पूछे, उनमें से लगभग 50 हीरानंदानी के थे। उन्होंने कहा कि हीरानंदानी अपने हित में और प्रतिद्वंद्वी अडाणी समूह के खिलाफ सवाल पूछते थे। देहाद्रई ने ये भी दावा कि उनके पास महुआ के हीरानंदानी से रिश्वत लेने के पुख्ता सबूत हैं और वे उन फोन कॉल के गवाह हैं, जिनमें महुआ और हीरानंदानी ने ये पूरी साजिश रची।
17 अक्टूबर को आचार समिति को भेजा गया मामला
दुबे ने देहाद्रई की इस शिकायत के आधार पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा और उनसे मामले में जांच और कार्रवाई की मांग की। दुबे की मांग पर लोकसभा अध्यक्ष ने 17 अक्टूबर को मामले को आचार समिति के पास भेज दिया।
हीरानंदानी ने आरोपों पर क्या कहा?
आचार समिति के सामने हलफनामा दाखिल करते हुए दर्शन हीरानंदानी ने कहा कि महुआ के कहने पर उन्होंने उनके लोकसभा के अकाउंट का इस्तेमाल करके अडाणी समूह के खिलाफ सवाल किए थे। उन्होंने महुआ को उपहार देने और उनकी यात्राओं का खर्च उठाने की बात भी स्वीकारी। हीरानंदानी ने दावा किया कि महुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाना चाहती थीं, लेकिन मोदी काम में कोई कसर नहीं छोड़ते, इसलिए महुआ ने गौतम अडाणी के जरिए उन्हें घेरना चाहा।
आचार समिति की बैठकों में कब क्या हुआ?
मामले में आचार समिति की पहली सुनवाई 26 अक्टूबर को हुई, जिसमें देहाद्रई और दुबे पेश हुए और उन्होंने अपना पक्ष रखा। इसके बाद 2 नवंबर को महुआ समिति के सामने पेश हुईं। हालांकि, कुछ घंटों की पूछताछ के बाद ही उन्होंने और समिति के विपक्षी सांसदों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया। उन्होंने समिति अध्यक्ष और भाजपा सांसद विनोद सोनकर पर महुआ से निजी और आपत्तिजनक सवाल पूछने का आरोप लगाया और इसे एक स्त्री का चीरहरण करार दिया।
9 नवंबर को समिति ने बहुमत से दी जांच रिपोर्ट को मंजूरी
आचार समिति ने 9 नवंबर को जांच रिपोर्ट को मंजूरी दी। समिति के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के समर्थन में वोट किया, वहीं 4 सदस्यों ने इसके खिलाफ वोट किया। इसी रिपोर्ट को आज 8 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया।
आचार समिति की रिपोर्ट में क्या कहा?
आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि महुआ के लोकसभा का अपना आईडी-पासवर्ड हीरानंदानी को देने और रिश्वत के तौर पर उनसे उपहार और नकदी लेने की पुष्टि हुई है। समिति ने कहा कि इस 'गंभीर दुष्कर्म' के लिए महुआ को गंभीर सजा मिलनी चाहिए और उन्हें लोकसभा से निष्कासित किया जाना चाहिए। उसने महुआ के इस आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण को देखते हुए उनके खिलाफ कानूनी, संस्थागत और समयबद्ध जांच कराने की सिफारिश भी की है।
लोकसभा में रिपोर्ट पर बहस में क्या-क्या हुआ?
आचार समिति के अध्यक्ष सोनकर के रिपोर्ट पेश करने के बाद इस पर बहस हुई। बहस में कांग्रेस ने इस 400 पेज से अधिक की रिपोर्ट को पढ़ने के लिए 3-4 दिन का समय मांगा। इसके साथ ही उसने और TMC ने महुआ को उनका पक्ष रखने देने की अनुमति देने की मांग की। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ने ये अनुमति देने से इनकार कर दिया। बहस के बाद महुआ को निष्कासित करने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हो गया।
महुआ को आरोपों पर क्या कहना है?
महुआ ने हीरानंदानी को लोकसभा का अपना आईडी-पासवर्ड देने की बात तो स्वीकारी है, लेकिन बाकी सभी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि सांसदों के आईडी-पासवर्ड शेयर नहीं करने को लेकर कोई नियम नहीं है। उनका कहना है कि अडाणी समूह पर सवाल उठाने के लिए उन्हें निशाना बनाया गया है। उन्होंने ये भी कहा कि उनका देहाद्रेई से पुराना विवाद चल रहा है और बदला लेने के लिए देहाद्रेई ने ये निराधार आरोप लगाए हैं।