महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से पारित
क्या है खबर?
संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से पारित हो गया। इस विधेयक के समर्थन में सदन में 454 वोट पड़े, वहीं इसके खिलाफ 2 वोट पड़े।
सत्तापक्ष के अलावा कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने विधेयक का समर्थन किया।
हालांकि, चर्चा के दौरान कई विपक्षी पार्टियों ने विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की महिलाओं को भी आरक्षण दिए जाने की मांग की।
विधेयक को कल गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
चर्चा
चर्चा के दौरान विपक्ष ने क्या कहा?
महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने सरकार से विधेयक में कुछ संशोधनों की मांग की।
विपक्ष ने कहा कि विधेयक के तहत OBC वर्ग की महिलाओं को भी अलग से आरक्षण मिलना चाहिए और विधेयक को जनगणना और परिसीमन तक न रोककर तुरंत प्रभाव से लागू करना चाहिए।
उनका कहना है कि सरकार महिला आरक्षण को बाद के लिए टाल रही है।
राहुल और सोनिया
कांग्रेस नेता सोनिया और राहुल गांधी ने सदन में क्या कहा?
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सदन में कहा, "महिला आरक्षण विधेयक को परिसीमन तक नहीं रोकना चाहिए। इससे पहले जातिगत जनगणना कराकर इस विधेयक में OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।"
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, "जब भी विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाता है तो सरकार कोई नया मुद्दा उठा देती है, ताकि OBC समुदाय का ध्यान भटक जाए। सरकार को जातिगत जनगणना करानी चाहिए और OBC महिलाओं को भी आरक्षण मिलना चाहिए।"
अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह विधेयक के पक्ष में क्या कहा?
गृह मंत्री अमित शाह ने महिला आरक्षण विधेयक पर सदन में कहा कि विपक्ष के लिए यह राजनीतिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है।
उन्होंने कहा, "सदन ने हर बार महिलाओं को निराश किया है। मैं आज सभी पार्टियों से प्रार्थना करता हूं कि हम सब इस नई शुरुआत से सर्वानुमति से मातृशक्ति को नई ताकत देंगे। ये विधेयक सदन में माताओं-बहनों की एक तिहाई भागीदारी सुनिश्चित करेगा।"
विधेयक
महिला आरक्षण विधेयक में क्या हैं प्रावधान?
विधेयक में राज्य विधानसभाओं, केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं।
इन 33 प्रतिशत में से एक तिहाई सीटें SC/ST महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, यानी SC/ST महिलाओं को आरक्षण के भीतर ही आरक्षण मिलेगा। OBC महिलाओं को ऐसा कोई लाभ नहीं मिलेगा।
विधेयक इसके कानून बनने के बाद होने वाले पहले परिसीमन के बाद लागू होगा।
अभी ये आरक्षण 15 साल के लिए है, जिसे संसद आगे बढ़ा सकेगी।