#NewsBytesExplainer: परिसीमन क्या होता है और इसका महिला आरक्षण विधेयक से क्या संबंध है?
महिला आरक्षण के लिए लाया गया 'नारी शक्ति वंदन विधेयक' लोकसभा से पारित हो गया है। इसके जरिए लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। हालांकि, विधेयक को जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू किया जा सकेगा, जो कि साल 2027 तक हो पाएगी। यानी महिलाओं को आरक्षण 2029 के लोकसभा चुनाव में मिल सकता है। आइए समझते हैं कि आरक्षण के लिए परिसीमन क्यों जरूरी है।
विधेयक में परिसीमन को लेकर क्या कहा गया है?
विधेयक में पहली शर्त है कि नए प्रावधान परिसीमन के बाद लागू होंगे। दूसरी शर्त है कि परिसीमन कानून बनने के बाद पहली जनगणना के आंकड़ों के आधार पर होगा। आसान भाषा में समझें तो इसका मतलब हुआ कि नया कानून बनने के बाद पहले जनगणना होगी फिर जनगणना के आंकड़ों के आधार पर सीटों का परिसीमन होगा। इसके बाद होने वाले चुनावों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।
परिसीमन क्या होता है?
किसी लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र की सीमाओं के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया को परिसीमन कहा जाता है। दरअसल, समय के साथ किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या में बदलाव होना स्वाभाविक है। इसलिए परिसीमन के जरिए बदली हुई आबादी को समान रूप से प्रतिनिधित्व दिया जाता है। परिसीमन आयोग ये कार्य करता है। यह एक स्वतंत्र निकाय होता है जिसके फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। परिसीमन से सीटों की संख्या कम या ज्यादा हो सकती है।
क्यों जरूरी है परिसीमन?
परिसीमन कई वजहों से जरूरी है। लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का हर राज्य की जनसंख्या के अनुपात में विभाजन करना जरूरी होता है, ताकि आबादी को समान प्रतिनिधित्व मिल सके। इसके अलावा परिसीमन का उद्देश्य भौगोलिक क्षेत्रों को सीटों में निष्पक्ष रूप से बांटना भी है, ताकि किसी भी राजनीतिक पार्टी को अनुचित लाभ न हो। संविधान के अनुच्छेद 82 में हर राज्य के लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का जिक्र किया गया है।
महिला आरक्षण विधेयक में क्या परिसीमन शामिल करना जरूरी था?
विपक्षी पार्टियां सरकार पर आरोप लगा रही हैं कि परिसीमन की शर्त से कानून को धरातल पर लाने में समय लगेगा। दरअसल, विधेयक के कानून बनने के बाद विधानसभा और लोकसभा की सीटें आरक्षित होंगी। अगर परिसीमन नहीं किया जाए तो कौन सी सीट आरक्षित होगी और कौन सी नहीं इसका निर्धारण करने का कोई पैमाना नहीं होगा। अगर बिना परिसीमन के किसी सीट को आरक्षित कर दिया जाए तो विवाद खड़ा हो सकता है।
देश में कितनी बार हुआ परिसीमन?
आजादी के बाद से अब तक 4 बार परिसीमन हुआ है- 1952, 1963, 1973 और 2002 में। आखिरी बार जब 2002 में परिसीमन हुआ, तब निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ था। यानी 70 के दशक से लोकसभा सदस्यों की संख्या 543 ही है। 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 42वां संविधान संशोधन विधेयक लेकर आई थीं, जिसमें 2001 तक परिसीमन पर रोक लगाने का प्रस्ताव था। अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे 2026 तक बढ़ा दिया था।
महिलाओं को कब तक मिल सकता है 33 प्रतिशत आरक्षण?
वर्तमान प्रावधानों के अनुसार, परिसीमन 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के आधार पर होना चाहिए। सामान्य तौर पर देखा जाए तो 2026 के बाद पहली जनगणना 2031 में होनी है, लेकिन 2021 में होने वाली जनगणना कोरोना की वजह से नहीं हो पाई। गृह मंत्री अमित शाह ने संकेत दिए हैं कि जनगणना और परिसीमन का काम अगले साल शुरू हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो 2029 के लोकसभा चुनावों में महिलाओं को आरक्षण मिल सकता है।