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    #NewsBytesExplainer: भारत रत्न के जरिए भाजपा ने कैसे साधे सियासी समीकरण?
    सरकार ने भारत रत्न के जरिए सिसासी समीकरण साधने की कोशिश की है

    #NewsBytesExplainer: भारत रत्न के जरिए भाजपा ने कैसे साधे सियासी समीकरण?

    लेखन आबिद खान
    Feb 10, 2024
    06:40 pm

    क्या है खबर?

    सरकार ने बीते 17 दिनों में 5 हस्तियों को भारत रत्न देने का ऐलान किया है।

    इनमें पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह, भारत में हरित क्रांति के अगुआ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पिछड़ों के मसीहा कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर का नाम शामिल है।

    चुनाव से पहले इन सम्मानों के ऐलान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

    आइए समझते हैं कैसे सरकार ने सियासी समीकरण साधने की कोशिश की है।

    हस्तियां

    पहले जानिए किन-किन लोगों को मिला भारत रत्न

    भारत रत्न देने का सिलसिला 23 जनवरी से शुरू हुआ था। तब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पिछड़ी जातियों के बड़े नेता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ था।

    इसके बाद 3 फरवरी को भाजपा नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा की गई।

    9 फरवरी को पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को ये सम्मान देने का ऐलान हुआ।

    चरण सिंह

    चरण सिंह को भारत रत्न देने के सियासी मायने

    चरण सिंह की गिनती देश के बड़े किसान नेता के तौर पर होती है। फिलहाल उनकी विरासत को उनके पोते जयंत चौधरी संभाल रहे हैं।

    जयंत राष्ट्रीय जनता दल (RLD) के उपाध्यक्ष हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनकी खासी पकड़ मानी जाती है। चरण सिंह को भारत रत्न के ऐलान के बाद जयंत ने 'दिल जीत लिया' वाला बयान दिया। ये लगभग तय है कि जयंत अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल हो जाएंगे।

    किसान

    चरण सिंह के जरिए साधे गए किसान और जाट

    चरण सिंह को भारत रत्न देकर भाजपा ने किसानों और जाटों को भी साधा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और दूसरी मांगों को लेकर किसान भाजपा से नाराज बताए जाते रहे हैं।

    दूसरी ओर, पहलवानों के प्रदर्शन और राजनीति में हिस्सेदारी को लेकर उठने वाले सवालों को भी इसके जरिए खामोश करने की कोशिश की गई है। जयंत को 2 सीटें देकर भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 29 सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत की है।

    ठाकुर

    पिछड़ों को साधने के लिए ठाकुर को भारत रत्न?

    ठाकुर को भारत रत्न के ऐलान से भाजपा ने बिहार के सियासी समीकरण ही बदल दिए हैं। नीतीश कुमार लंबे समय से ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग कर रहे थे। इस ऐलान के बाद नीतीश का मोहभंग हुआ और वे NDA के साथ आ गए।

    इसके साथ ही पिछड़ों और महादलित का बड़ा तबका भी भाजपा के साथ आ गया। नीतीश के साथ आने से भाजपा को बिहार में 30 से ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद है।

    विपक्ष

    ठाकुर को भारत रत्न से विपक्षी एकता में भी तोड़फोड़

    नीतीश को साथ लाकर भाजपा ने विपक्षी एकता में सेंध लगाई है। महीनों से विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जुटे नीतीश ही अब NDA का हिस्सा बन चुके हैं। विपक्षी एकता के लिए ये बड़ा झटका है।

    इससे पहले अखिलेश यादव ने जयंत के साथ सीट बंटवारे का ऐलान किया था, लेकिन अब जयंत भी NDA में लगभग शामिल हो चुके हैं। यानी भारत रत्न के जरिए भाजपा ने बिहार में एक तीर से कई निशाने लगाए हैं।

    दक्षिण

    नरसिम्हा राव और स्वामीनाथन के बहाने दक्षिण पर निशाना

    नरसिम्हा राव के बहाने भाजपा ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मतदाताओं को साधने के लिए बड़ा दांव खेला है। इससे भाजपा ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर फैसले लेने का भी संदेश दिया है।

    दूसरी ओर, स्वामीनाथन के जरिए तमिलनाडु के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की गई है। तमिलनाडु में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (AIADMK) से रिश्ता टूटने के बाद भाजपा वहां साथियों की तलाश में है।

    आडवाणी

    आडवाणी के जरिए संगठन को संघ को संदेश

    राम मंदिर के उद्घाटन के 10 दिन बाद ही आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया। विश्लेषकों का मानना है कि इसके जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से अपने मतभेदों को कम करना चाहते हैं।

    दूसरी ओर, मोदी पर आडवाणी को राजनीति से अलग-थलग करने के आरोप भी लगे। अब उन्हें सम्मान देकर संदेश देने की कोशिश की गई है कि पार्टी में संगठन का ख्याल रखा जाता है।

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