मनमोहन सिंह का बड़ा बयान, कहा- रोके जा सकते थे 1984 सिख विरोधी दंगे, अगर...
क्या है खबर?
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बड़ा बयान दिया है।
बुधवार को एक समारोह में उन्होंने कहा कि अगर तत्कालीन गृह मंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने इंद्र कुमार गुजराल की तत्काल सेना बुलाने की बात मान ली होती तो सिखों के नरसंहार को रोका जा सकता था।
बता दें कि 1984 के इन सिख विरोधी दंगों में 3,000 से अधिक सिखों की हत्या कर दी गई थी।
बयान
मनमोहन बोले, गुजराल ने दी थी तत्काल सेना बुलाने की सलाह
बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री रह चुके गुजराल की 100वीं जयंती के अवसर पर हुए एक समारोह में मनमोहन सिंह ने ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा, "जब 1984 की दुखद घटना हुई, गुजराल जी उसी शाम तत्कालीन गृह मंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव के पास गए और उनसे कहा कि स्थिति इनती नाजुक है कि सरकार के लिए तत्काल सेना बुलाना जरूरी है। अगर ये सलाह मान ली गई होती तो 1984 में हुआ नरसंहार रोका जा सकता था।"
इतिहास
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए थे सिख विरोधी दंगे
31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों, सतवंत सिंह और बेअंत सिंह, ने नई दिल्ली स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी थी।
सतवंत और बेअंत ने इंदिरा पर एक स्टेनगन और एक रिवाल्वर से कुल 33 गोलियां चलाईं थीं।
इन 33 गोलियों में 23 गोलियां उनके शरीर से होते हुए बाहर निकल गईं और बाकी सात गोलियां शरीर के अंदर ही फंस गईं थीं।
क्यों की हत्या?
ऑपरेशन ब्लू स्टार से नाराज थे दोनों सिख अंगरक्षक
सतवंत और बेअंत इंदिरा गांधी की सरकार के 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' से नाराज थे और इसी कारण उन्होंने उनकी हत्या की थी।
ऑपरेशन ब्लू स्टार में इंदिरा ने सिखों के पवित्र स्वर्ण मंदिर में सैन्य ऑपरेशन चलाने की मंजूरी दी थी, जिसमें मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था।
मंदिर पर खालिस्तानी उग्रवादी जनरैल सिंह भिंडरावाले ने अपने समर्थकों के साथ कब्जा कर लिया था और मंदिर को उसके कब्जे से छुड़ाने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार किया गया था।
जानकारी
बेअंत को किया गया मौके पर ढेर, सतवंत को हुई फांसी की सजा
बेअंत सिंह को घटना के चंद मिनटों बाद ही जवाबी कार्रवाई में ढेर कर दिया गया था, जबकि सतवंत को अन्य अंगरक्षकों ने गिरफ्तार कर लिया था। उसे एक अन्य साजिशकर्ता केहर सिंह के साथ 6 जनवरी 1989 को फांसी का सजा सुनाई गई थी।
सिख विरोधी दंगे
दंगों का केंद्र था दिल्ली, कांग्रेस नेताओं पर उठते हैं सवाल
इंदिरा की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। दंगों का केंद्र दिल्ली था और इनमें 3,000 से ज्यादा सिखों को मौत के घाट उतार दिया गया था।
इन दंगों को भारतीय लोकतंत्र पर एक बड़े धब्बे की तरह देखा जाता है।
दंगों के समय तत्कालीन कांग्रेस सरकार की लापरवाही और उसके कई नेताओं के इनमें शामिल होने के आरोप भी लगते रहते हैं।
गुजराल के साथ संबंध
पाकिस्तानी शरणार्थी से प्रधानमंत्री बनने तक के समान सफर पर भी बोले मनमोहन
समारोह में मनमोहन सिंह ने गुजराल के साथ अपने संबंधों का जिक्र करते हुए दोनों के पाकिस्तानी शरणार्थी होने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के समान सफर के बारे में भी बताया।
उन्होंने कहा, "गुजराल जी और मेरा जन्म पाकिस्तान के एक ही जिले झेलम में हुआ था और ये ऐसा संबंध था जो उनके और मेरे साथ सफर (प्रधानमंत्री बनने तक) लगातार बना रहा।"
बता दें कि गुजराल अप्रैल 1997 से मार्च 1998 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे थे।