संसद में बोले राहुल गांधी- एकलव्य की तरह गरीबों, किसानों, युवाओं का अंगूठा काट रही सरकार
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संविधान पर चर्चा का आज दूसरा दिन है। इस दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भाषण दिया। उन्होंने कहा, "संविधान देश की धारणा का दस्तावेज है। जब हम संविधान को खोलते हैं, तब हम अंबेडकर, गांधी, नेहरू के विचारों को सुनते हैं।" राहुल ने एकलव्य और द्रोणाचार्य की कहानी भी सुनाई। राहुल ने कहा कि जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा, वैसे ही सरकार युवाओं का अंगूठा काट रही है।
राहुल बोले- सरकार अंगूठा काटने में लगी
राहुल ने कहा, "जब आप अडाणी को धारावी का बिजनेस देते हैं तो धारावी के व्यापारियों का अंगूठा काटते हैं। जब आप बंदरगाह-एयरपोर्ट अडाणी को देते हैं, तो ईमानदार व्यापारियों का अंगूठा काटते हैं। लेटेरल एंट्री देकर युवाओं का अंगूठा काटते हैं। हजारों युवा सेना में जाने के लिए मेहनत करते थे, आपने अग्निवीर लाकर उनका अंगूठा काटा। किसान आपसे MSP मांगते हैं, तो आप किसानों का अंगूठा काटते हो। संविधान में नहीं लिखा कि युवाओं का अंगूठा काटना चाहिए।"
राहुल ने कहा- 50 प्रतिशत आरक्षण की दीवार तोड़ देंगे
राहुल ने कहा, "हमारी विचारधारा, INDIA गठबंधन की विचारधारा संविधान की रक्षा करते हैं। राजनीतिक समानता खत्म हो गई है। सामाजिक समानता, आर्थिक समानता नहीं रही। इसलिए हमारा अगला कदम जातीय जनगणना होगा। हम देश को दिखाना चाहते हैं कि आपने किन लोगों का कहां-कहां अंगूठा काटा है। उसके बाद हिंदुस्तान में एक नए तरीके का विकास होगा और नई तरीके की राजनीति होगी। 50 प्रतिशत आरक्षण की दीवार भी हम तोड़ेंगे।"
राहुल गांधी ने सावरकर को लेकर सरकार पर साधा निशाना
राहुल ने कहा, "RSS ने मनुस्मृति को संविधान से बेहतर बताया था। वीर सावरकर ने मनुस्मृति को संविधान से ऊपर बताया था। उन्होंने कहा था कि संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है। यह आपके नेता ने कहा था, जिसकी आप पूजा करते हैं। ये सावरकर के शब्द हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि आप अपने नेताओं के शब्दों के साथ खड़े होते हैं। जब आप संविधान पर संसद में बात करते हैं तो आप सावरकर को निराश करते हैं।"
DMK सांसद ए राजा के बयान पर संसद में बवाल
द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) सांसद ए राजा के बयान पर संसद में खूब हंगामा हुआ। उन्होंने सत्ता पक्ष के नेताओं को 'बैड एलिमेंट्स' कहा। उन्होंने कहा, "1947 में देश के विभाजन की दो-राष्ट्र सिद्धांत की शुरुआत वीर सावरकर ने की थी, न कि मुहम्मद अली जिन्ना ने।" राजा के इस बयान पर भी खूब विवाद हुआ। भाजपा ने राजा से माफी मांगने की मांग की। बाद में राजा के बयान को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया।
किरेन रिजिजू ने की चर्चा की शुरुआत
संसद में चर्चा की शुरुआत केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने की। उन्होंने कहा, "अल्पसंख्यकों के खिलाफ दुनिया में जब भी संकट होता है। वो भारत की तरफ देखते हैं। ऐसी बात नहीं करनी चाहिए। इससे देश की छवि को नुकसान होता है। मैं ऐसे क्षेत्र से आता हूं, जहां मैंने पहले हवाई जहाज देखे, कार बाद में देखी, क्योंकि मेरे सांसद बनने के बाद ही सड़कें बनीं। अगर संविधान नहीं होता तो हम यहां नहीं होते।"