संसद में सुरक्षा चूक: क्या है विजिटर पास और संसद में सुरक्षा कितनी सख्त होती है?
आज जब संसद की सुरक्षा में सेंध लगी तो पूरे देश में एक बार फिर से सदन की सुरक्षा का मामला गरमा गया है। सदन में 2 युवक एक विजिटर पास लेकर पहले अंदर घुसे और सुरक्षा की व्यवस्था को चकमा देकर लोकसभा तक पहुंच गए। इसके बाद लोकसभा में उन्होंने हंगामा किया। आइए जानते हैं कि यह विजिटर पास क्या है और संसद में सुरक्षा व्यवस्था कितनी सख्त होती है।
क्या है मामला?
लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान 2 युवक बुधवार को दर्शक दीर्घा से अचानक सदन में कूद गए और बेंच पर कूदते हुए गैस कनस्तर से पीले रंग की गैस उड़ा दी। तभी सांसदों ने मिलकर दोनों को पकड़ लिया और सुरक्षाकर्मियों के हवाले किया। ये दोनों ही भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा के नाम से जारी विजिटर पास के जरिए संसद भवन में दाखिल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने 2 लोगों को सदन के बाहर से भी गिरफ्तार किया है।
क्या आम लोग संसद में कर सकते हैं प्रवेश?
आम नागरिक संसदीय कार्यवाही देखने के लिए लोकसभा और राज्यसभा के सत्र में भाग ले सकते हैं। लोकसभा की कार्यवाही को देखने के लिए लोकसभा के भवन के अंदर एक दर्शक दीर्घा होती है जोकि लोकसभा की बालकनी में बनी हुई है। लोकसभा में कार्यवाही देखने के लिए जो पास दिया जाता है, वह सीमित समय के लिए होता है और उसी के अनुसार लोगों को प्रवेश की अनुमति मिलती है।
प्रवेश के लिए जारी किया जाने वाला विजिटर पास क्या है?
आम नागरिक को संसदीय कार्यवाही देखने के लिए आमतौर पर किसी संसद सदस्य की सिफारिश की आवश्यकता होती है। जैसे इन हंगामा करने वालों के लिए पास प्रताप सिम्हा के नाम से जारी हुए। इसके बाद एक पास जारी किया जाता है जिसपर समर्थन करने वाले सांसद का नाम लिखा होता है और इसे ही विजिटर पास कहा जाता है। सांसदों के ससंदीय क्षेत्र के निवासी, स्कूली बच्चे अक्सर संसद की कार्यवाही सीमित समय में देखने के लिए जाते हैं।
कैसे बनता है विजिटर पास?
लोकसभा की कार्यवाही देखने के लिए एक फॉर्म भरने की आवश्यकता होती है जोकि लोकसभा के रिसेप्शन ऑफिस या लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट www.parliamentofindia.nic.in पर आसानी से उपलब्ध है। इसमें आवेदक का नाम, पिता का नाम, उम्र, व्यवसाय, स्थानीय और स्थाई पते की जानकारी देनी होती है। आवेदक को यह फॉर्म किसी भी लोकसभा सांसद से सत्यापित कराना होता है। 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रवेश नहीं मिलता ।
प्रवेश के लिए संसद भवन की सुरक्षा के लिए क्या व्यवस्था है?
संसद की सुरक्षा 3 परतों में होती है जिसमें से बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस, दूसरी परत की जिम्मेदारी पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप और तीसरी की पार्लियामेंट्री सिक्योरिटी सर्विस की होती है। इन तीनों परतों से संसद भवन की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस (PSS) के ऊपर होती है। इसमें दिल्ली पुलिस, दिल्ली फायर सर्विस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), विशेष सुरक्षा समूह (SPG), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के कर्मी शामिल होते हैं।
पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस कैसे काम करती है?
PSS राज्यसभा और लोकसभा के लिए अलग-अलग होता है। ये साल 2009 में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले इसे वॉच एंड वॉर्ड के नाम से जाना जाता था क्योंकि यह संसद में एक्सेस को कंट्रोल करने के साथ-साथ स्पीकर, सभापति, उप सभापति और सांसदों को सुरक्षा प्रदान करने का काम करती है। PSS ही आम लोगों और पत्रकारों और भीड़ से जो माननीय हैं या फिर संवैधानिक पदों पर बैठे हैं, उनको सुरक्षा प्रदान करते हैं।
संसद में प्रवेश से पहले होती है सख्त चेकिंग
संसद में आने वाले किसी भी आगंतुक को सुरक्षा व्यवस्था से गुजरना पड़ता है। उसके बैग और सामान की कम से कम 3 बार जांच की जाती है। संसद क्षेत्र में प्रवेश के साथ ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है। मेटल डिटेक्टरों से गुजरने के बाद, आगंतुक गैलरी में प्रवेश करने से पहले सुरक्षा जांच के दूसरे स्तर में प्रवेश करता है, जहां एक और सुरक्षा जांच की जाती है।