भाजपा सांसद राम शंकर कठेरिया को हुई 2 वर्ष की सजा, जा सकती है लोकसभा सदस्यता
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के आगरा की एक विशेष सांसद-विधायक कोर्ट ने इटावा लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद राम शंकर कठेरिया को वर्ष 2011 के मारपीट के एक मामले में दोषी करार दिया है।
कोर्ट ने इस मामले में कठेरिया को 2 वर्ष जेल की सजा सुनाते हुए 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
इस आदेश के बाद लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत कठेरिया की लोकसभा सदस्यता को रद्द किया जा सकता है।
सजा
किस मामले में हुई कठेरिया को सजा?
कठेरिया को 16 नवंबर, 2011 को आगरा में बिजली कंपनी टोरंट पावर लिमिटेड के कार्यालय में मैनेजर भावेश रसिक लाल शाह और अन्य कर्मचारियों के साथ मारपीट करने का दोषी पाया गया है।
दरअसल, शाह बिजली चोरी से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे थे और तभी कठेरिया और उनके समर्थकों ने मारपीट शुरू कर दी। इसके बाद कठेरिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 और धारा 323 के तहत केस दर्ज हुआ था।
बयान
कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करुंगा- कठेरिया
कठेरिया ने फैसले के बाद कहा, "मुझे एक महिला ने बिजली के बिल को लेकर शिकायत की थी, जिसके बाद मैंने टोरंट कंपनी के अधिकारियों से बात की थी। बसपा की सरकार के दौरान मुझ पर मुकदमा दर्ज किया गया।"
उन्होंने कहा, "आज मुझे 2 धाराओं के तहत सजा सुनाई गई है। मैं न्यायालय के आदेश का ह्रदय से सम्मान करते हुए इसे स्वीकार करता हूं। मेरे फैसले के खिलाफ अपील करने के कानून अधिकार का प्रयोग करूंगा।"
परिचय
मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं कठेरिया
राम शंकर कठेरिया वर्तमान में इटावा लोकसभा सीट से सांसद हैं। इससे पहले वह 2009 से 2019 के बीच लगातार दो बार आगरा के सांसद भी रह चुके हैं।
कठेरिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान मई 2014 से जुलाई 2016 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
गौरतलब है कि कठेरिया राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
कानून
न्यूजबाइट्स प्लस
कठेरिया की संसद सदस्यता को लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 के तहत रद्द किया जा सकता है।
इस कानून की धारा 8(3) के मुताबिक, किसी जन प्रतिनिधि को किसी मामले में 2 या इससे अधिक साल की सजा होती है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी।
पहले इस कानून की धारा 8(4) के तहत सजा होने के 3 महीने बाद सदस्यता रद्द होने का फैसला लागू होता था, लेकिन 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।