#NewsBytesExplainer: क्या UCC को संसद में पारित करा पाएगी सरकार और कैसे AAP की भूमिका अहम?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में समान नागरिक संहिता (UCC) का समर्थन किया था, जिसके बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले संसद में इससे संबंधित विधेयक ला सकती है।
विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) ने सैद्धांतिक तौर पर UCC का समर्थन किया है।
आइए समझते हैं कि विधेयक को संसद में पारित करवाने के लिए जरूरी गणित क्या है और इसमें AAP की क्या भूमिका हो सकती है।
प्रस्ताव
पहले जानें क्या है UCC
UCC का मतलब है कि देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वह उन्हीं के मुताबिक चलते हैं।
UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। यह महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।
गणित
लोकसभा में आसानी से विधेयक पास करवा सकती है भाजपा
पिछले 9 वर्षों से केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है। 301 लोकसभा सांसदों वाली भाजपा के लिए लोकसभा में अकेले दम पर विधेयक को पारित करवाना कोई मुश्किल काम नहीं होगा।
हालांकि, भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास राज्यसभा में विधेयक को पास करवाने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं है और इसके लिए अन्य पार्टियों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
गणित
राज्यसभा में क्या है भाजपा और उसके सहयोगियों की स्थिति?
राज्यसभा में फिलहाल 237 सांसद हैं और इस लिहाज से बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 119 है।
राज्यसभा में भाजपा के पास 92 सीटें हैं। उसकी सहयोगी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के 4 सांसद हैं, जबकि 7 अन्य छोटी सहयोगी पार्टियों के पास 1-1 सीट है।
इसके अलावा एक निर्दलीय सांसद और 5 नामित सदस्यों का समर्थन हासिल होने पर यह आंकड़ा 109 हो जाएगा, जो बहुमत के आंकड़े से 10 कम है।
समर्थन
BJD के समर्थन से भी खत्म नहीं होगी भाजपा की मुश्किल
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल (BJD) ने इशारों में UCC को लेकर लाए जाने वाले विधेयक का समर्थन करने की बात कही है। हालांकि, BJD के 9 राज्यसभा सांसदों की मदद से भी भाजपा बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाएगी।
दूसरी तरफ कई मौकों पर भाजपा का समर्थन करने वाली युवजन श्रमिक रायथू (YSR) कांग्रेस पार्टी ने इस बार UCC का विरोध किया है, जिसने भाजपा को मुश्किल में ला दिया है।
समर्थन
क्या 10 सांसदों वाली AAP देगी भाजपा का साथ?
AAP के पास राज्यसभा में 10 सांसद हैं, जिनमें दिल्ली के 3 और पंजाब के 7 सांसद शामिल हैं।
UCC पर AAP का रुख ऐसे समय पर सामने आया है जब उसकी कांग्रेस के साथ टकराव की स्थिति बनी हुई है। अगर AAP विधेयक का समर्थन करती है तो भाजपा UCC को राज्यसभा में पास करवाने में कामयाब हो जाएगी।
हालांकि, इस पर संशय है क्योंकि AAP और केंद्र वर्तमान में दिल्ली के लिए लाए गए अध्यादेश पर आमने-सामने हैं।
चुनाव
राज्यसभा चुनाव का क्या असर पड़ेगा?
संसद के मानसून सत्र में 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होंगे।
इनमें पश्चिम बंगाल की 6, गुजरात की 3 और गोवा की एक सीट शामिल है। बंगाल की 5 सीटों पर फिलहाल तृणमूल कांग्रेस (TMC) और एक सीट पर कांग्रेस साबिज है। गुजरात और गोवा की 4 सीटें भाजपा के पास हैं।
कांग्रेस वाली सीट भाजपा के पास जाना तय है। ऐसा होता है तो भाजपा बिना AAP के विधेयक को पारित कराने की स्थिति में पहुंच सकती है।