अजित पवार 2019 में भी NCP को झटका देकर बने थे उपमुख्यमंत्री, जानें क्या हुआ था
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है। उन्होंने NCP के कई विधायकों के साथ पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत करते हुए महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा और शिंदे गुट के गठबंधन का हाथ थाम लिया है। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं नहीं है, जब अजित पवार ने पार्टी के आलाकमान को इस तरह का बड़ा झटका दिया है। पवार 4 साल पहले भी ऐसा कर चुके हैं।
भाजपा और शिवसेना में मतभेद के बाद से हुई थी शुरुआत
महाराष्ट्र में 2019 में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 105 सीटों पर और शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दोनों पार्टियों ने संयुक्त रूप से बहुमत का आंकड़ा पार भी कर लिया था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और भाजपा में मतभेद हो गया था। बता दें कि चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को जारी हुए थे, लेकिन एक महीने तक सरकार का गठन नहीं हो पाया था।
फडणवीस को समर्थन देकर उपमुख्यमंत्री बने थे अजित
मुख्यमंत्री के पद को लेकर शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस और NCP के साथ बातचीत शुरू कर दी। हालांकि, 23 नवंबर, 2019 की सुबह महाराष्ट्र की राजनीति में एक नाटकीय घटनाक्रम हुआ। शिवसेना, कांग्रेस और NCP ने गठबंधन के लिए उद्धव ठाकरे को सर्वसम्मति से नेता चुने जाने के बीच तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अचानक देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और NCP नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी।
शपथग्रहण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई थी याचिका
अजित के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद NCP ने उन्हें संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया था। इसके 1 दिन बाद बाद शिवसेना, NCP और कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए भाजपा को आमंत्रित करने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नई सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया था।
अजित के समर्थन वापस लेने पर गिर गई थी सरकार
अजित के नेतृत्व वाले NCP धड़े और भाजपा के गठबंधन की यह सरकार 80 घंटे में गिर गई थी। दरअसल, अजित ने अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया। उधर NCP अध्यक्ष शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था और महाराष्ट्र की राजनीति में हुए इस उलटफेर के बाद शिवसेना, कांग्रेस और NCP की महाविकास अघाड़ी की सरकार बन गई थी।