
उपेंद्र कुशवाहा ने बुलाई पार्टी की बैठक, छोड़ सकते हैं NDA का साथ
क्या है खबर?
बिहार में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) में सब ठीक नहीं चल रहा है। संभावना जताई जा रही है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा NDA से बाहर जा सकते हैं।
इस पर फैसला लेने के लिए उन्होंने आज पटना में पार्टी की बैठक बुलाई है। बैठक की अध्यक्षता उपेंद्र कुशवाहा खुद करेंगे।
अटकलें लगाई जा रही हैं कि कुशवाहा इस बैठक में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
नाराजगी
NDA से नाराजगी की वजह
आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बिहार में सीट बंटवारे की घोषणा के बाद से ही कुशवाहा NDA से नाराज बताए जा रहे हैं।
पिछले महीने भाजपा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU ने घोषणा की थी कि दोनों पार्टियां एक समान सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
इस सीट बंटवारे में भाजपा ने कुशवाहा की पार्टी को दो सीटें दी हैं, जबकि कुशवाहा तीन लोकसभा सीटें चाहते हैं। सीट बंटवारे से नाखुश उपेंद्र NDA छोड़ सकते हैं।
बयान
नीतीश कुमार के बयान से नाराजगी
इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा ने खुद को नीतीश कुमार द्वारा कथित तौर पर 'नीच' कहे जाने के मामले को भी मुद्दा बनाया।
दरअसल, नीतीश कुमार ने एक बयान में कहा, "कुशवाहा, सवाल-जवाब का स्तर नीचे ले जा रहे हैं।"
कुशवाहा ने आरोप लगाया कि नीतीश ने उनके खिलाफ 'नीच' शब्द का उपयोग कर उनका अपमान किया है।
उन्होंने अपने भाषणों में कई बार जिक्र किया कि नीतीश ने उनका ही नहीं बल्कि पूरे कुशवाहा समाज का अपमान किया है।
मुलाकात
अमित शाह से मिलने का मांगा वक्त
उपेंद्र कुशवाहा, नीतीश कुमार के इस बयान को मुद्दा बनाने की कोशिश में थे। उन्हें लगा कि भाजपा उनका इस मामले में साथ देगी।
इसके लिए उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का वक्त मांगा, लेकिन शाह से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई।
सूत्रों का कहना है कि अमित शाह से उनकी मुलाकात की संभावना बहुत कम है। इसलिए माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा NDA में बने रहने को लेकर आज बड़ी घोषणा कर सकते हैं।
परिचय
कौन हैं उपेंद्र कुशवाह?
उपेंद्र कुशवाहा का जन्म 2 फरवरी 1960 को बिहार के वैशाली में हुआ। सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने उपेंद्र कुशवाहा शिक्षक, शिक्षाविद् और किसान भी हैं।
कुशवाहा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के संस्थापक और बिहार के काराकट से सांसद हैं।
2014 के आम चुनाव से पहले उनकी पार्टी NDA में शामिल हो गई थी।
2014 के लोकसभा चुनाव में रालोसपा ने सीतामढ़ी, काराकट और जहानाबाद से चुनाव लड़ा था और तीनों सीटों पर जीत हासिल की।