जेट लैग क्या होता है और इससे राहत पाने के लिए किन योगासनों का करें अभ्यास?
जेट लैग आमतौर पर स्लीपिंग डिसऑर्डर है। यह किसी भी इंसान को हो सकता है, जो कई बार अधिक समय के लिए यात्रा करते हैं। इसकी वजह से बॉयोलॉजिकल बॉडी क्लॉक बिगड़ जाती है और थकान जैसी समस्या से गुजरना पड़ता है। हालांकि, कुछ योग आसनों के अभ्यास से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए आज ऐसे ही 5 योगासन और उनके अभ्यास का सही तरीका जानते हैं।
सेतु बंध सर्वांगासन
सेतु बंध सर्वांगासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और शरीर के बगल में हाथ रखते हुए हथेलियों को नीचे की तरफ रखें। अब दोनों घुटनों को मोड़ें और पैरों को फर्श पर रखें। इसके साथ अपने कंधों, हाथों और पैरों का सहारा लेते हुए अपनी पीठ को फर्श से उठाएं। थोड़ी देर तक इसी मुद्रा में बने रहें और फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।
उष्ट्रासन
उष्ट्रासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और फिर घुटनों के बल ही सीधे खड़े हो जाएं। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें और दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर और बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम 1-2 मिनट तक बने रहें। इसके बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं और कुछ मिनट आराम करें।
सुप्त मत्स्येन्द्रासन
सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। अब दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए ऊपर उठाएं और तलवे को बाएं घुटने पर टिकाएं। इसके बाद पीठ को बाईं ओर मोड़ें और दाएं हाथ को दाएं पैर के घुटने पर रखें। इस दौरान बाएं हाथ को कंधे की सीध में फैलाएं और सिर को बाईं ओर घुमाएं। कुछ देर तक इसी स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।
सूर्य नमस्कार
सबसे पहले सीधे खड़े होकर अपनी बाहों को ऊपर उठाते हुए पीछे की ओर झुकें। थोड़ी देर बाद आगे की ओर झुकें और घुटनों को मोड़ें बिना हाथों से पैर की उंगलियों को छुएं। इसके बाद दाएं पैर को पीछे की ओर सीधा फैलाएं। अब घुटनों, छाती और कंधों को नीचे फर्श पर रखें और फिर आसमान की ओर देखें। इसके बाद आप जैसे-जैसे इस मुद्रा में आए थे ठीक वैसे ही वापस से सामान्य हो जाएं।
आनंद बालासन
आनंद बालासन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और फिर गरही सांस लें। अब सांस छोड़ते हुए घुटनों को पेट के पास लाएं। इसके बाद अपने पैरों के तलवे को हाथों से पकड़कर उन्हें धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस दौरान ध्यान रखें कि घुटने छाती के किनारे से सटे हो और दोनों घुटने के बीच में थोड़ी दूरी हो।