सुप्त मत्स्येन्द्रासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
सुप्त मत्स्येन्द्रासन तीन शब्दों (सुप्त, मत्स्येन्द्र और आसन) के मेल से बना है। इसमें सुप्त का मतलब लेटना, मत्स्येन्द्र का मतलब मछलियों के भगवान और आसन का अर्थ मुद्रा है।
इस योगासन का अभ्यास करना जितना सरल होता है उतने ही इससे स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
अगर आप रोजाना सुप्त मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास करते हैं तो इससे आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
चलिए आज आपको इस योगासन के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
अभ्यास
सुप्त मत्स्येन्द्रासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ें और ऊपर उठाते हुए इसके तलवे को बाएं घुटने पर टिकाएं।
फिर अपनी पीठ को बायीं ओर मोड़ें और अपने दाएं हाथ को दाएं पैर के घुटने पर रखें। वहीं, बाएं हाथ को कंधे की सीध में फैलाएं।
इसके बाद सिर को बायीं ओर घुमाएं। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।
सावधानियां
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर आपको रीढ़ की हड्डी या फिर सिर से संबंधित कोई समस्या है तो आपको इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए। वहीं, गर्भवती महिलाओं को भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
इसके अलावा, अगर आपको पेट संबंधित कोई समस्या है या आपकी कोई सर्जरी हुई है तो भी इस योगासन का अभ्यास न करें।
अगर इस योगाभ्यास के दौरान कमर में किसी भी तरह की तकलीफ महसूस होती है तो इसका अभ्यास तुरंत छोड़ दें।
फायदे
सुप्त मत्स्येन्द्रासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
इस योगासन के अभ्यास से पीठ दर्द से राहत मिलती है।
इस योगासन से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों, कंधों, हैम्स्ट्रिंग, पैरों और हाथों की मांसपेशियों में मजबूती आती है।
यह योगासन पाचन क्रिया की कार्यक्षमता पर सकारात्मक असर डालता है।
नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास आंतरिक अंगों की कार्यक्षमता पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
इसके अलावा इससे न सिर्फ मेटाबॉलिज्म को सक्रिय रखने में मदद मिलती है, बल्कि इससे दिमाग भी शांत रहता है।
खास टिप्स
सुप्त मत्स्येन्द्रासन के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप पहली बार इस योगासन का अभ्यास करने जा रहे हैं तो सबसे पहले इसकी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझ लें और इसका अभ्यास किसी योग शिक्षक की निगरानी में ही करें।
इस आसन को करते समय शरीर में अधिक तनाव पैदा न करें और शांत दिमाग से सुप्त मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास करें।
इस योगासन का अभ्यास हमेशा खाली पेट करें और इस दौरान आपके कपड़े भी ढीले-ढाले होने चाहिए।