वरूण मुद्रा: जानिए इस योग के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें
हमारा शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश नाम के पंच तत्वों से बना है और वरूण मुद्रा जल तत्व के लिए बहुत फायदेमंद है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से त्वचा और बालों में रूखापन नहीं आता है और इससे अन्य कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। आइए आज आपको इस मुद्रा के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और इससे संबंधित अन्य कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
वरूण मुद्रा के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को इस तरह से घुटनों पर रखें कि हथेलियां आकाश की तरफ हों। इसके बाद अपनी कनिष्ठ उंगली (Little Finger) को अपने अंगूठे की नोंक से मिलाएं और बाकी उंगलियों को सीधा रखें। अब अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। रोजाना 20 से 25 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करें।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर आपको सर्दी, खांसी या फिर टॉन्सिल जैसी समस्याएं हैं तो वरूण मुद्रा का अभ्यास करने से बचें। वरूण मुद्रा के अभ्यास के दौरान अपनी छोटी उंगली के नाखून के पास दबाव नहीं बनाना है क्योंकि इससे शरीर पर मुद्रा का प्रभाव नकारात्मक रूप से पड़ सकता है। इस मुद्रा के अभ्यास का समय सर्दियों और बारिश में कम रखें और गर्मियों में बढ़ा दें क्योंकि यह मुद्रा शरीर में मौजूद जल तत्व को नियंत्रित रखने में मदद करती है।
रोजाना वरूण मुद्रा का अभ्यास करने से मिलने वाले फायदे
इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर में मौजूद जल तत्व का संतुलन कायम रखने में मदद मिलती है। यह मुद्रा त्वचा के रूखेपन और स्किन इंफेक्शन से राहत दिलाने में भी मदद कर सकती है। इसके अलावा यह कील-मुहांसों की परेशानी को भी खत्म करती है। इस मुद्रा का अभ्यास चेहरे के प्राकृतिक निखार को बढ़ाने में भी कारगर है। इस मुद्रा से मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है। यह मुद्रा मांसपेशियों के लिए भी लाभदायक है।
मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
इस आसन का अभ्यास किसी हल्की गर्म और शांत जगह पर बैठकर करें ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से इस मुद्रा पर केंद्रित हो सके। अगर आप पहली बार इस मुद्रा का अभ्यास करने जा रहे हैं तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में यह अभ्यास करें। इस मुद्रा का अभ्यास करते समय सांस लेने और छोड़ने में अधिक जोर न लगाएं। वरूण मुद्रा का अभ्यास सूर्योंदय के समय करना फायदेमंद हो सकता है।