वशिष्ठासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और अन्य अहम बातें
क्या है खबर?
वशिष्ठासन दो शब्दों (वशिष्ठ और आसन) के मेल से बना है। इसमें वशिष्ठ एक महान ऋषि का नाम है और इसका अर्थ 'धनवान' होता है, वहीं आसन का मतलब मुद्रा है।
इस योगासन के निरंतर अभ्यास से शरीर को ढेरों फायदे मिलते हैं।
अगर आपको इस योगासन के बारे में कुछ भी नहीं पता है तो आइए आज आपको इसके अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
अभ्यास
वशिष्ठासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठकर अपने दाएं हाथ की हथेली को जमीन पर रखें।
इसके बाद धीरे-धीरे अपने शरीर का सारा वजन दायीं हथेली और दाएं पैर पर डालें।
फिर अपने बाएं पैर को दाएं पैर पर रखें और अपने बाएं हाथ को ऊपर की ओर सीधा रखें। अब अपना ध्यान बाएं हाथ की उंगलियों पर केंद्रित करें।
कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
सावधानियां
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर आप कंधे या कोहनी से जुड़ी किसी समस्या से परेशान हैं तो आपको इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके कारण आपकी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
अगर हाथ की हथेली में किसी तरह की चोट है तो भी इस योगासन का अभ्यास न करें।
गर्भवती महिलाओं को भी वशिष्ठासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
इस योगासन का अभ्यास करते समय किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें क्योंकि इससे चोट लगने का खतरा रहता है।
फायदे
वशिष्ठासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
इस योगासन के अभ्यास से पैर, पेट और हाथों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और यह शरीर में ऊर्जा बढ़ाता है।
यह योगासन संतुलन शक्ति को भी बढ़ाता है और शरीर का पॉश्चर सुधारने में मदद करता है।
इसके अभ्यास से एकाग्रता की क्षमता भी मजबूत होती है।
यह आसन फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाकर श्वास की गति को संतुलित रखता है।
इसके अलावा यह गले से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाने में भी काफी मदद कर सकता है।
खास टिप्स
वशिष्ठासन के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप पहली बार इस योगासन का अभ्यास करने जा रहे हैं तो सबसे पहले इसकी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझ लें और इसका अभ्यास किसी योग शिक्षक की निगरानी में ही करें।
वशिष्ठासन का अभ्यास करने के लिए सुबह सूर्योदय का समय बेहतर माना जाता है।
इस योगासन का अभ्यास करते समय ढीले कपड़े पहनें।
अभ्यास के दौरान शरीर में किसी तरह की असुविधा होने पर आसन को तुरंत छोड़ दें।