गन्ने के अलावा इन चीजों से भी बनता है गुड़, जानिए इनके प्रकार
गुड़ एक ऐसी चीज है, जिसे आप चीनी के विकल्प के रूप में अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकते हैं। एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुणों से भरपूर यह मीठा खाद्य पदार्थ कुछ अलग रूपों में भी मौजूद है, जिनमें से कुछ के बारे में शायद ही आप जानते होंगे। आइए आज हम आपको चार प्रकार के गुड़ और उनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
खजूर का गुड़
खजूर के रस से बनाए जाने वाले इस गुड़ को ताड़ का गुड़ और नोलेन गुड़ भी कहा जाता है। यह गुड़ पोटेशियम, आयरन, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम से भरपूर होता है तथा इसका रंग गहरा भूरा होता है। पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा लोकप्रिय यह गुड़ शरीर के हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक हो सकता है। यह पाचन क्रिया को मजबूत करने में भी मदद करता है।
गन्ने का गुड़
इस गुड़ को बनाने के लिए सबसे पहले गन्ने के रस को पारंपरिक तरीके से उबालकर और छानकर मथा जाता है। फिर गुड़ ब्लॉक बनाने के लिए रस को ठंडा करके जमाया जाता है। सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक इस गुड़ की तासीर गरम होती है। ऐसे में इसका सेवन सर्दियों के दौरान करना सबसे अच्छा माना जाता है। यह वजन घटाने, लिवर को डिटॉक्स करने और सांस की समस्याओं से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।
नारियल का गुड़
नारियल के रस से तैयार किया जाने वाला यह गुड़ आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर होता है और इसमें सुक्रोज नहीं होता है। गोवा और दक्षिण भारतीय व्यंजनों में इसका सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है और इस गुड़ का रंग गहरा होता है। इसके अतिरिक्त यह गले की खराश, खांसी और सर्दी की समस्याओं के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी होता है। यह पेट को ठंडक पहुंचाने में भी मदद करता है।
मरयूर गुड़
केरल के इडुक्की जिले का मरयूर नामक स्थान गन्ने के उत्पादन के लिए जाना जाता है, जिससे बना गुड़ भी काफी ज्यादा लोकप्रिय है। पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके उत्पादित इस गुड़ की खेती मरयूर और कंथलूर क्षेत्रों के सीढ़ीदार गन्ने के खेतों में की जाती है। दक्षिणी भारत में इस गुड़ का उत्पादन मुथुवा जनजाति के किसान करते हैं।