पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को मिली बड़ी राहत, दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
क्या है खबर?
हाथरस में दलित महिला से गैंगरेप और हत्या के मामले में हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में पिछले दो सालों से उत्तर प्रदेश की जेल में बंद केरल के पत्रका सिद्दीकी कप्पन को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत देते हुए जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने उन्हें तीन दिन में निचली अदालत में पेश करने और जमानत की शर्तें निर्धारित कराने को भी कहा है।
पृष्ठभूमि
5 अक्टूबर, 2020 को हुई थी कप्पन की गिरफ्तारी
अक्टूबर 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित महिला के गैंगरेप के बाद मौत हो गई थी। इस मामले में काफी विवाद हुआ था।
इसी को लेकर एक मलयालम समाचार वेबसाइट के साथ काम करने वाले कप्पन 5 अक्टूबर को हाथरस जा रहे थे।
उसी दौरान पुलिस ने उन्हें हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था। उन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA) भी लगाया गया है।
खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी जमानत याचिका
मामले में निचली अदालत के जमानत खारिज करने के बाद कप्पन ने जुलाई में इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जमानत की मांग की थी, लेकिन 3 अगस्त को हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने उनके तनावूर्ण माहौल में हाथरस जाने को गलत ठहराते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था।
उसके बाद से वह मथुरा जेल में बंद हैं। ऐसे में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
विरोध
उत्तर प्रदेश सरकार ने किया था जमानत का विरोध
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था और पांच सितंबर तक जवाब मांगा था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर हलफनामा दाखिल कर कप्पन की जमानत का विरोध किया था।
सरकार ने कहा था कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। इसके अलावा कप्पन देश में धार्मिक कलह और आतंक फैलाने की साजिश का भी हिस्सा है।
जानकारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने ये भी लगाए आरोप
उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफमाने में यह भी कहा कि कप्पन नागरिकता संशोधन कानून और NRC पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हाथरस की घटना को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश रच रहा था। इसमें SFI का रऊफ शरीफ भी शामिल था।
बचाव
कप्पन पर अभी तक भी साबित नहीं हो सके हैं आरोप- सिब्बल
कप्पन के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 45,000 रुपये बैंक में जमा कराने का आरोप है। PFI पर अभी तक न तो काई बैन है और न ही उसे आतंकी संगठन घोषित किया गया है। इसी तरह कप्पन पर लगाए गए आरोप भी अभी तक साबित नहीं हो सके हैं।
उन्होंने कहा कि कप्पन अक्टूबर 2020 से जेल में है। वह पत्रकार है और घटना की कवरेज के लिए जा रहे थे। ऐसे में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिए जमनात के आदेश
मामले में मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कप्पन को सशर्त जमानत देने के आदेश दे दिए।
कोर्ट ने कहा कि वह जांच की प्रगति पर टिप्पणी नहीं करेंगे, क्योंकि विवाद कप्पन पर आरोप तय करने को लेकर है। इसी तरह अभियोजन पक्ष अभी तक कप्पन के साजिश में शामिल होने का भी सबूत पेश नहीं कर सका है।
शर्त
सुप्रीम कोर्ट ने इन शर्तों के आधार पर दी कप्पन को जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को शुरुआती छह सप्ताह दिल्ली जंगपुरा पुलिस थाना क्षेत्र में रहने, प्रत्येक सोमवार को स्थानीय पुलिस थाने में हाजिरी देने, निचली अदालत की अनुमति के बिना दिल्ली से बाहर न जाने, जमानत का दुरुपयोग न करने और विवाद से जुड़े किसी भी शख्स से न मिलने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि इनमें से किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर कप्पन की जमानत को रद्द कर फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है।