क्या है हॉबीडे, जो मानसिक स्वास्थ्य को करता है बेहतर?
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ रही है और इसके कारण कई ऐसी चीजों की उत्पत्ति हो रही है, जो मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में मदद कर सकें। हॉबीडे भी इस साल काफी चलन में है, जो शौक और छुट्टियों का मिश्रण है। इसका मतलब छुट्टियों में खुद को खुशी देने वाली गतिविधियों का लुत्फ उठाने से है। यात्रा विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में कई लोग देश या विदेश यात्रा के दौरान इस चलन को अपना रहे हैं।
हॉबीडे में क्या-क्या होता है?
हॉबीडे में व्यक्ति अपनी किसी भी पसंदीदा गतिविधि का आनंद ले सकता है। इसमें बेकिंग, गार्डनिंग, क्राफ्ट, पेंटिंग, गाना, खाना पकाना या कुछ भी शामिल हो सकता है। इसके बाद व्यक्ति अपने शौक के अनुसार ऐसी जगह को चुनता है, जहां जाकर वह अपनी पसंदीदा गतिविधि का आनंद ले सकता है। उदाहरण के लिए, आप उत्तराखंड जाकर न सिर्फ व्हाइट वाटर राफ्टिंग और कयाकिंग जैसी एडवेंचर गतिविधियों को आजमा कर सकते हैं, बल्कि योग भी सीख सकते हैं।
हॉबीडे को अपनाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
छुट्टियों में शौक को पूरा करने के लिए इससे जुड़ी चीजों को अपने पास रखें। जैसे कि अगर आपका शौक किसी पहाड़ी वाली जगह पर कुछ खाना बनाने का है तो इसके लिए जरूरी चीजों को अपने साथ रखें। अगर शौक में शारीरिक गतिविधियां शामिल हैं तो इससे पहले अपने स्वास्थ्य का आंकलन जरूर करें क्योंकि जलवायु परिवर्तन और अलग जगह का खान-पान आपको प्रभावित कर सकता है। किसी भी जगह पर जाने से पहले इसके बारे में रिसर्च करें।
भारत की इन जगहों पर दिया जा रहा है हॉबीडे को बढ़ावा
कई भारतीय होटल इस नए चलन को बढ़ावा दे रहे हैं। द लीला पैलेस, द ओबेरॉय और प्रताप महल जैसे होटलों में यात्रियों के लिए खाना बनाने, बेकिंग रूम और मसाला बाजार का भ्रमण करने जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जयपुर और कुमाऊं में स्टारगेजिंग सेशन का आनंद लिया जा सकता है, जबकि ओबेरॉय उदयविलास, उदयपुर और फोर्ट अलीला, बिशनगढ़ में मिट्टी के बर्तन बनाने की कक्षाएं दी जाती हैं।
हॉबीडे को अपनाना कैसे मानसिक स्वास्थ्य के लिए है अच्छा?
कई अध्ययनों के मुताबिक, मानसिक स्वास्थ्य और शौक में गहरा संबंध पाया गया है। कई मनोचिकित्सकों का भी मानना है कि अपने शौक या कहें कि पसंदीदा चीजों को करते रहने से खुद को तनावपूर्ण स्थितियों से अलग रखने में मदद मिल सकती है, जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है। हॉबीडे एक तरह से आत्म-देखभाल और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देता है और इसलिए अपनी अगली छुट्टियों की योजना इस चलन को अपनाते हुए जरूर बनाएं।