BRICS सम्मेलन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की द्विपक्षीय बैठक क्यों है महत्वपूर्ण?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को रूस के कजान शहर में आयोजित 16वें BRICS शिखर सम्मेलन से अलग चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। दोनों नेताओं के बीच यह पिछले 5 साल में पहली औपचारिक द्विपक्षीय बैठक होगी। यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब दोनों एशियाई दिग्गज पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए हैं। ऐसे में जानते हैं कि यह बैठक क्यों महत्वपूर्ण है।
गलवान घाटी हिंसा के बाद से दोनों देशों के संबंधों में आई कड़वाहट
15 जून, 2020 को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में कई सैनिक हताहत हुए थे। यह 1975 के बाद दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी झड़प थी। उस घटना ने दोनों के संबंधों में कड़वाहट ला दी थी। इसके बाद भारत ने चीनी नागरिकों पर सख्त वीजा प्रतिबंध लागू कर दिए थे। हालांकि, इसका असर भारत की प्रमुख विनिर्माण कंपनियों पर पड़ा है, क्योंकि इसके चलते चीनी विशेषज्ञ इंजीनियर भारत नहीं आ सके।
भारतीय कंपनियों की मांग पर भारत ने दी ढील
मामले में भारतीय कंपनियों ने सरकार को पत्र भेजकर कहा कि वह चीनी तकनीशियनों के बिना उपकरणों का संचालन करने में असमर्थ हैं और इसका असर भारतीय नागरिकों पर पड़ रहा है। इस पर सरकार ने हाल में वीजा जारी करने में ढील दे दी।
भारत ने चीन के खिलाफ ये कदम भी उठाए
भारत ने अप्रैल 2020 में पड़ोसी देशों से निवेश के लिए सरकारी मंजूरी अनिवार्य कर दी। इसका उद्देश्य चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को प्रतिबंधित करना था। इसके कारण पिछले 4 वर्षों से अरबों डॉलर का प्रस्तावित निवेश अनुमोदन प्रक्रिया में अटका है। भारत ने डाटा और गोपनीयता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए लगभग 300 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। कोरोना महामारी के बाद से दोनों देशों के बीच कोई सीधी उड़ान भी संचालित नहीं हुई है।
कैसे संभव हुई दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बैठक?
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने BRICS सम्मेलन से अलग प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक की पुष्टि की है। यह फैसला दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त को लेकर हुए महत्वपूर्ण समझौते के बाद किया गया है। इस समझौते के तहत भारत और चीन डेमचौक और देपसांग से अपनी सेनाओं को पीछे हटाने और इलाके में फिर से 2020 से पहले की तरह गश्त करने पर सहमत हुए हैं।
दोनों नेताओं के बीच आखिरी बार कब हुई थी वार्ता
प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंग के बीच अगस्त 2023 में BRICS सम्मेलन के दौरान जोहान्सबर्ग में संक्षिप्त अनौपचारिक बातचीत हुई थी। उससे पहले दोनों ने नवंबर 2022 में बाली में G-20 नेताओं के लिए इंडोनेशियाई राष्ट्रपति द्वारा आयोजित रात्रिभोज में संक्षिप्त बातचीत की थी।
राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद
दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक की घोषणा के बाद उम्मीद की जा रही है कि अब दोनों देशों के बीच राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा मिलने के रास्ते खुलने लगेंगे। भारत के निर्यातकों ने इसे एक सकारात्मक विकास बताया है, जिससे चीन के साथ व्यापार संबंधों में फिर तेजी आने की संभावना बनेगी। बता दें कि साल 2020 की हिंसा के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध काफी कम हो गए थे।
चीन के साथ व्यापार करने वाले व्यापारियों को मिलेगी राहत
मुंबई स्थित निर्यातक और टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के मुख्य प्रबंध निदेशक (CMD) सरन कुमार सराफ ने PTI से कहा , "चीन के साथ व्यापार करने वाले भारतीय व्यापारियों को मौजूदा अलगाव से मानसिक राहत मिलेगी। वाणिज्य विभाग को चीन से आयात होने वाले 10 शीर्ष उत्पादों की पहचान करनी चाहिए और आयात में कटौती करने के लिए उन पर काम करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि चीन के साथ व्यापार से भारत के बाजार को भी मजबूती मिलेगी।
चीन को वस्तुओं के निर्यात में काफी पिछड़ा भारत
दोनों देशों के बीच तनाव के बाद आयात-निर्यात में भी काफी बड़ा अंतर आया है। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने चीन से 100 अरब डॉलर (8.40 लाख करोड़ रुपये) से अधिक हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में भारत का निर्यात 16.65 अरब डॉलर (करीब 1.39 लाख करोड़ रुपये) ही रहा था। इसी तरह साल 2023-24 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 85 अरब डॉलर (7.14 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा, जो देश में सर्वाधिक है।
चीनी निवेश को कम करने की उम्मीद
पिछले महीने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारतीय वस्तुओं को चीन में वैसी पहुंच नहीं मिलती जैसी चीनी उत्पादों को भारत में मिलती है। बजट-पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में कहा था कि चीन से FDI में वृद्धि भारत के लिए फायदेमंद होगी। अब उम्मीद है कि भारत इस बैठक के जरिए देश में चीनी निवेश लाने की अपनी तैयारी करेगा। इसके अलावा चीन भी भारत के साथ मिलकर अपने बिगड़े संबंधों को फिर से पटरी पर लाना चाहेगा।