जानिए कैसे सेमीकंडक्टर का वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है भारत
भारत ने तकनीक के विकास में बेहद जरूरी उपकरण सेमीकंडक्टर का वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। केंद्र सरकार का 'भारत सेमीकंडक्टर मिशन' (ISM), 3 नए संयंत्र स्थापित करने की घोषणा और फिर सिंगापुर और अमेरिका के साथ संयंत्र स्थापित करने के समझौते हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिका में शीर्ष टेक कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) से साथ बैठक की जिसमें सेमीकंडक्टर पर भी चर्चा हुई। आइए विस्तार से जानें।
सबसे पहले जानते हैं क्या होते हैं सेमीकंडक्टर
इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) को ही आमतौर पर सिलिकॉन चिप या सेमीकंडक्टर के रूप में जाना जाता है। यह आधुनिक तकनीकों की एक विस्तृत श्रृंखला का मूलभूत निर्माण खंड है। सेमीकंडक्टर स्मार्टफोन और चिकित्सा उपकरणों से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, अंतरिक्ष अन्वेषण, परमाणु ऊर्जा और दूरसंचार क्षेत्र के विकास के लिए बेहद आवश्यक उपकरण माना जाता है। इसके बिना तकनीक के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
कहां होता है सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल?
चिकित्सा मशीनों से लेकर मोबाइल, कंप्यूटर, कार, अंतरिक्ष यान, डिजिटल कैमरा, ट्रेन, ATM के साथ सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से जुड़ी हर मशीन में सेमीकंडक्टर केंद्र और मस्तिष्क के रूप में कार्य करते हैं। सेमीकंडक्टर का जहां निर्माण होता है, उसे फैब या फाउंड्री कहते हैं। कारों के हेड्स अप डिस्प्ले, सेन्सर्स, सेलफोन और कम्यूनिकेशन इंटीग्रेशन के साथ उच्च दक्षता वाले इंजन के एलिमेंट्स में भी इनका इस्तेमाल होता है। करंट को नियंत्रित करने में भी इसका इस्तेमाल होता है।
भारत ने सेमीकंडरक्टर के निर्माण की दिशा में कैसे उठाया कदम?
केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर की आवश्यकताओं को समझते हुए देश में मजबूत सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के उद्देश्य से 15 दिसंबर, 2022 को ISM का शुभारंभ किया था। डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के तहत संचालित इस पहल का उद्देश्य भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण, पैकेजिंग और डिजाइन क्षमताओं को बढ़ावा देना है। दिसंबर 2022 में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब्रिकेशन प्लांट की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए 76,000 करोड़ रुपये की पहली वित्तीय सहायता दी गई थी।
ISM की स्थापना का क्या था उद्देश्य?
ISM की स्थापना और वित्तीय प्रोत्साहन का उद्देश्य सेमीकंडक्टर उद्योग क्षेत्र के महत्वपूर्ण खिलाड़ियों को आकर्षित करना और भारत के सेमीकंडक्टर बुनियादी ढांचे में निवेश को प्रोत्साहित करना था। इसके बाद 29 फरवरी, 2024 को सरकार ने 1.26 लाख करोड़ रुपये की लागत से देश में 3 सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करने की मंजूरी दे दी। इनमें हर साल 300 करोड़ चिप बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना से 1.26 लाख लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा।
भारत में कहां स्थापित किए जा रहे हैं सेमीकंडक्टर संयंत्र?
भारत का पहला सेमीकंडक्टर संयंत्र गुजरात में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL) द्वारा स्थापित किया जा रहा है। 91,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ यह देश की पहली वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर निर्माण सुविधा है। इसी तरह असम के मोरीगांव में TEPL द्वारा 27,000 करोड़ के निवेश के साथ सेमीकंडक्टर एसेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (ATMP) संयंत्र और गुजरात के साणंद में सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड द्वारा 7,500 करोड़ की लागत से ATMP संयंत्र स्थापित किया जा रहा है।
इन देशों ने सेमीकंडक्टर संयंत्र के लिए भारत से किए करार
इसी महीने अमेरिका के विदेश विभाग ने भारत में ISM से साझेदारी की घोषणा की थी। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ कोलकाता में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन संयंत्र स्थापित करने का समझौता किया है। इसके जरिए अमेरिकी सशस्त्र बलों, उसकी सहयोगी सेनाओं और भारतीय रक्षा बलों को इलेक्ट्रॉनिक चिप्स की आपूर्ति की जाएगी। इसी तरह 4 सितंबर को सिंगापुर ने भी भारत से सेमीकंडक्टर सुविधा के विकास का समझौता किया है।
ये कंपनियां संयंत्र स्थापित करने के लिए आई आगे
हाल ही में इजरायल के टॉवर सेमीकंडक्टर और भारत के अडाणी समूह ने 84,000 करोड़ रुपये का संयुक्त सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करने का समझौता किया है, जिस पर सरकार विचार कर रही है। लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड ने 25,200 करोड़ रुपये की लागत से एक फैबलेस चिप कंपनी स्थापित करने की घोषणा की है। इसके अलावा टाटा इलेक्ट्रोनिक्स ने ताइवान के सहयोग से गुजरात और असम में अपनी इकाइयों का विस्तार करने की घोषणा की है।
कैसा है सेमीकंडक्टर उद्योग का बाजार?
सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार, साल 2021 में सेमीकंडक्टर की बिक्री 26.2 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 42 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी। इसमें चीन में बने सेमीकंडक्टरों की बिक्री 16.80 लाख करोड़ तक पहुंची थी। साल 2023 में 1.15 ट्रिलियन सेमीकंडक्टर इकाइयों का निर्यात हुआ है। 2027 तक सेमीकंडक्टर उद्योग 60 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में सेमीकंडक्टर उद्योग की क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
ताइवान में बनते हैं सबसे ज्यादा सेमीकंडक्टर
ताइवान दुनिया में सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा उत्पादक है। दुनिया के 68 फीसदी सेमीकंडक्टर बाजार पर ताइवान का ही कब्जा है। ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड (TSMC) देश में होने वाले कुल उत्पादन की 90 फीसदी चिप बनाती है। इसके बाद दक्षिण कोरिया, चीन और अमेरिका का नंबर आता हैं। हालांकि, जापान, जर्मनी और इजराइल सहित कई अन्य देशों की भी सेमीकंडक्टर उद्योग में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। अब भारत भी इस उद्योग की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है।
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग का हाल
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। अभी यहां सालाना लगभग 2,000 चिप ही डिजाइन किए जाते हैं। साल 2026 तक यहां सेमीकंडक्टर की खपत 6.72 लाख करोड़ रुपये और 2032 तक 22.84 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी। वर्तमान टाटा एलेक्सी लिमिटेड, डिक्सन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, SPEL सेमीकंडक्टर लिमिटेड, ASM टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, मोस्चिप टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, HCL टेक्नोलॉजीज और रटनशा इंटरनेशनल रेक्टिफायर जैसी कंपनियां सेमीकंडरक्टर उद्योग से जुड़ी हैं।