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असम में अतिक्रमण हटाने गई टीम पर पथराव; एक की मौत, 10 पुलिसकर्मी घायल
असम में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान भड़की हिंसा

असम में अतिक्रमण हटाने गई टीम पर पथराव; एक की मौत, 10 पुलिसकर्मी घायल

लेखन आबिद खान
Jul 17, 2025
03:53 pm

क्या है खबर?

असम के ग्वालपाड़ा जिले में आज अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई और कई पुलिसवाले घायल हो गए। जिले के पैकन इलाके में प्रशासन सुरक्षाबलों को लेकर वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचा था, तभी ग्रामीणों ने पथराव कर दिया, जिसमें 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में एक शख्स की मौत हो गई।

हिंसा

कैसे भड़की हिंसा?

दरअसल, पैकन रिजर्व फॉरेस्ट में 140 हेक्टेयर वन भूमि को खाली कराने के लिए प्रशासन ने 12 जुलाई को अतिक्रमण रोधी अभियान चलाया था। तब सैकड़ों घरों को बुलडोजर से तोड़ दिया गया था। हालांकि, इसके बावजूद इन घरों में रह रहे लोगों ने इलाका खाली नहीं किया था और तिरपाल वगैरह बांधकर वहीं रहने लग गए थे। आज जब अधिकारी इन्हें हटाने आए, तो सुरक्षाबलों और इन बेघर लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई।

बयान

घटना के बारे में पुलिस ने क्या बताया?

पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) अखिलेश सिंह ने कहा, "वन टीम और पुलिस बेदखल किए गए इलाके में नियमित गश्त कर रहे थे, तभी स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया। लगभग 10 कांस्टेबल घायल हो गए और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है। लोगों को तितर-बितर करने के लिए उन्हें बल प्रयोग करना पड़ा, जिसमें गोलीबारी भी शामिल थी। इसमें 3 लोगों को गोली लगी। उनमें से एक की मौत हो गई और 2 का इलाज चल रहा है।"

ट्विटर पोस्ट

यहां देखें हिंसा के दृश्य

बयान

मुख्यमंत्री बोले- अभियान जारी रहेगा

हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था, "राज्य में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान में कुल 1,19,548 बीघा जमीन अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराई गई है। हमारी सरकार बनने के बाद से अब तक वन और राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रों में 84,743 बीघा जमीन अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराई गई है। कुल 1,19,548 बीघा जमीन अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराई गई है। सरकार इस अभियान में कोई ढील नहीं देगी।"

अभियान

140 हेक्टेयर भूमि से हटाया जाना है अतिक्रमण

बता दें कि इस अभियान का उद्देश्य पैकन रिजर्व फ़ॉरेस्ट में 140 हेक्टेयर भूमि से अतिक्रमण हटाना है, ताकि इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष कम हो और पारिस्थितिक संतुलन बहाल हो। हाई कोर्ट के आदेश के बाद ये अभियान शुरू किया गया है। अतिक्रमणकारियों को स्वेच्छा से इलाका खाली करने के लिए 10 जुलाई तक की समय सीमा दी गई थी। मुख्य रूप से बिद्यापारा और बेतबारी में ये अभियान चलाया जा रहा है।