#NewsBytesExplainer: राम मंदिर से जुड़ा ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले 5 जज फिलहाल कहां हैं?
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस भव्य आयोजन के लिए देशभर के कई खास लोगों को निमंत्रण दिया गया है। इनमें सुप्रीम कोर्ट के वो 5 जज भी शामिल हैं, जिन्होंने 2019 में अयोध्या जमीन विवाद में रामलला के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इसी फैसले के बाद राम मंदिर की नींव पड़ी, जिसका अब उद्घाटन होने जा रहा है। आइए जानते हैं कि ये जज फिलहाल क्या करते हैं।
सबसे पहले जानिए कौन थे 5 जज
राम मंदिर से जुड़ा फैसला 5 जजों की पीठ ने सुनाया था, जिसकी अध्यक्षता पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई कर रहे थे। पीठ के बाकी सदस्यों में जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे।
पीठ ने क्या फैसला सुनाया था?
सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को रामलला की जन्मभूमि मानते हुए इसे हिंदू पक्ष को सौंप दिया था। इसी जमीन पर मंदिर बना है, जिसका काम देखने के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वो अलग से 5 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित करे, जो वहां पर बाबरी मस्जिद की तर्ज पर ही दूसरी मस्जिद का निर्माण कर सके।
फिलहाल कहां है रंजन गोगोई?
देश के 46वें CJI रहे रंजन गोगोई फैसला सुनाने के एक हफ्ते बाद ही सेवानिवृत्त हो गए थे। 16 मार्च, 2020 को उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। वे राज्यसभा पहुंचने वाले तीसरे और राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत पहले जज थे। इसके बाद गोगोई विदेश मंत्रालय और सूचना-संचार से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के सदस्य भी रहे। गोगोई कह चुके हैं कि उनका किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ने का इरादा नहीं है।
किसी सार्वजनिक पद पर नहीं है जस्टिस बोबड़े
गोगोई के सेवानिवृत्त होने के बाद 18 नवंबर, 2019 को शरद अरविंद बोबडे ने देश के 47वें CJI का पद संभाला। करीब 17 महीने तक इस पद पर रहने के बाद वे अप्रैल, 2021 में सेवानिवृत्त हुए और इसके बाद कोई सार्वजनिक पद नहीं संभाला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे फिलहाल मुंबई की महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और नागपुर की महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति के तौर पर काम कर रहे हैं।
अब CJI बन चुके हैं जस्टिस चंद्रचूड़
राम मंदिर से जुड़ा फैसला सुनाने वाली पीठ के सदस्य रहे चंद्रचूड़ अब देश के 50वें CJ हैं। उस पीठ के 5 में से 4 जज सेवानिवृत्त हो चुके हैं और केवल जस्टिस चंद्रचूड़ ही अभी सक्रिय हैं। उनका कार्यकाल नवंबर, 2024 तक है। काफी समय बाद ऐसा हुआ है, जब कोई 2 साल के लिए CJI के पद पर रहेगा। चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ भी अपने वक्त पर सबसे लंबे समय तक CJI रह चुके हैं।
जस्टिस भूषण अब NCLAT के अध्यक्ष
जस्टिस अशोक भूषण 4, जुलाई 2021 को करीब 5 साल सुप्रीम कोर्ट में बिताने के बाद सेवानिवृत्त हो गए थे। इसके 3 महीने बाद ही मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने उन्हें नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) का अध्यक्ष बनाए जाने की मंजूरी दी थी। नवंबर, 2021 में केंद्र सरकार ने उन्हें NCLAT का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। वे नियुक्ति से अगले 4 साल तक इसी पद पर बने रहेंगेे।
राज्यपाल बनाए गए जस्टिस नजीर
करीब 6 साल तक सुप्रीम कोर्ट में रहने के बाद जस्टिस नजीर 4 जनवरी, 2023 को सेवानिवृत्त हो गए। इसके एक महीने बाद ही केंद्र सरकार ने जस्टिस नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त कर दिया। वे फिलहाल आंध्र प्रदेश के 24वें राज्यपाल की भूमिका निभा रहे हैं। जस्टिस नजीर अयोध्या मामले में फैसला सुनाने वाले 5 जजों में से एकमात्र मुस्लिम जज थे। नजीर को राज्यपाल बनाए जाने पर राजनीतिक विवाद भी हुआ था।