हिजाब विवाद: परीक्षा में बैठने के लिए छात्राएं पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट, CJI करेंगे विचार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक सरकार द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली नई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन जजों की एक बेंच गठित करने का विचार करेंगे। छात्राओं की ओर से वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने प्राथमिकता के आधार पर मामले की सुनवाई की मांग की। मामले में दो जजों की बेंच ने पहले अलग-अलग फैसला सुनाया था।
परीक्षाओं को लेकर चिंतित मुस्लिम छात्राएं- वकील
वकील अरोड़ा ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) को बताया कि कर्नाटक के सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगने के बाद बहुत सारी छात्राओं को प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन करवाना पड़ा, लेकिन दिक्कत यह है कि परीक्षाएं सरकारी कॉलेजों में ही होनी हैं। उन्होंने कहा कि प्राइवेट कॉलेज परीक्षा नहीं करवा सकते और मुस्लिम लड़कियों को परीक्षा को लेकर चिंता है और 6 फरवरी को परीक्षा शुरू होने वाली हैं, इसलिए वह अंतरिम दिशानिर्देश की मांग कर रही हैं।
CJI ने क्या कहा?
CJI ने कहा कि अक्टूबर, 2022 में पिछली बेंच के दो जजों द्वारा विभाजित फैसले के मद्देनजर इस मामले को उठाने के लिए वह तीन जजों की बेंच स्थापित करने पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि वह मामले को देखेंगे और फिर बेंच के सामने इसे रखेंगे। इसके साथ ही वह मामले को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने और प्रशासनिक मामलों पर उपयुक्त आदेश पारित करने पर भी विचार करेंगे।
पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दिया था विभाजित फैसला
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पिछले साल 22 अक्टूबर को कर्नाटक के कॉलेजों की कक्षाओं में कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा पहने जाने वाले हिजाब पर प्रतिबंध की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विभाजित फैसला सुनाया था। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा था कि राज्य सरकार को कॉलेज में यूनिफॉर्म लागू करने का अधिकार है, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब पहनने को पसंद का मामला बताते हुए इन याचिकाकाओं पर सुनवाई की पैरवी की थी।
क्या है हिजाब विवाद?
कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने से हुई थी। छात्राओं ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया और कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कई हिंदू छात्रों के विरोध में उतरने पर यह विवाद दूसरे जिलों में भी फैल गया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने विभाजित फैसला सुनाने के बाद मामले पर आगे की कार्रवाई CJI पर छोड़ दी थी।