कौन हैं MBA मूर्तिकार अरुण योगीराज, जिन्होंने अयोध्या के मंदिर के लिए बनाई रामलला की मूर्ति?
क्या है खबर?
अयोध्या के राम मंदिर के गर्भ गृह में स्थापना के लिए मूर्ति का चयन कर लिया गया है। इसे कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ट्वीट इसकी जानकारी दी।
इसकी आधिकारिक घोषणा श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय 5 जनवरी को करेंगे। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा।
आइए जानते हैं मूर्तिकार योगीराज अरुण कौन हैं और कैसे हुआ मूर्ति का चयन।
चयन
सबसे पहले जानें केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को एक्स पर जानकारी दी, 'अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति के चयन को अंतिम रूप दे दिया गया है। हमारे देश के प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज अरुण द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति अयोध्या में स्थापित की जाएगी।'
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी अरुण को बधाई दी और राम मंदिर में स्थापना के लिए भगवान राम की मूर्ति के चयन पर गर्व व्यक्त किया।
अरुण योगिराज
कौन है अरुण योगीराज?
अरुण कर्नाटक के मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार परिवार से हैं, जिनका 5 पीढ़ियों से मूर्ति बनाने का काम है।
अरुण सुप्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज के बेटे हैं। उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण हासिल था। अरुण अपने पिता और दादा के कार्यों से काफी प्रभावित थे।
बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर (MBA) के बाद उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में काम किया, लेकिन जन्मजात जुनून ने उन्हें 2008 में कला के क्षेत्र में वापस खींच लिया।
कार्य
आदि शंकराचार्य और सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी बना चुके हैं अरुण
11 साल की उम्र में अपने पिता से मूर्ति बनाने की कला सीखने वाले अरुण ने ऐसी कई मूर्तियां बनाई हैं, जिन्हें राष्ट्रव्यापी पहचान मिली।
इनमें सुभाष चंद्र बोस की 30 फुट की मूर्ति भी शामिल है, जो इंडिया गेट के पास अमर जवान ज्योति के पीछे लगी है।
इसके अलावा उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फुट ऊंची मूर्ति बनाई थी।
उन्होंने मैसूर के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान मूर्ति समेत अन्य मूर्तियों को भी तराशा है।
मानक
रामलला की मूर्ति बनाने के क्या थे मानक?
मूर्ति मकराना और श्याम शिला से बनी होने की शर्त थी।
मकराना के पत्थर कठोर और नक्काशी के लिए बेहतर होते हैं। इनकी चमक काफी समय तक रहती है। श्याम शिला जलरोधी होते हैं और इन पर नक्काशी आसानी होती है।
मूर्ति की ऊंचाई 52 इंच, राम की भुजाएं घुटनों तक, मस्तक सुंदर, आंख बड़ी और ललाट भव्य होने की शर्त थी।
मूर्ति कमल पर खड़ी हो और राम के हाथ में धनुष-बाण हों। मूर्ति में बच्चे की आभा झलके।
चयन प्रक्रिया
क्या थी मूर्ति के लिए चयन प्रक्रिया?
अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 3 मूर्तियां तैयार की गईं, जिन्हें 3 कारीगरों ने बनाया था। इनमें से किसी एक के चयन के लिए वोटिंग प्रक्रिया अपनाया गया और कुछ मानक तय किये गए।
चंपत राय के अनुसार, मूर्ति में सबसे अच्छी दिव्यता के साथ-साथ 5 साल के बच्चे की मासूमियत की झलक होनी चाहिए। इन सभी मानकों पर अरुण द्वारा निर्मित मूर्ति खरी उतरी है। चयनित मूर्ति से 22 जनवरी को पर्दा उठेगा।