राम मंदिर उद्घाटन का न्योता ठुकराने पर कांग्रेस में कलह, उठ रहे अलग-अलग सुर
कांग्रेस ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को 'ससम्मान अस्वीकार' कर दिया है। हालांकि, इस निर्णय पर पार्टी में फूट देखने को मिल रही है। गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस पर अपनी निराशा व्यक्त की है और शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर सवाल उठाए हैं। इस बीच कुछ ऐसे भी नेता हैं, जो इस निर्णय का समर्थन कर रहे हैं।
गुजरात कांग्रेस के नेता ने कहा- पार्टी को ऐसे निर्णय से दूर रहना चाहिए
गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया ने पार्टी के फैसले पर आपत्ति जताते हुए एक्स पर लिखा, 'भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।' दूसरी तरफ गुजरात कांग्रेस प्रमुख अंबरीश डेर ने नेताओं को भगवान राम से जुड़े बयानों से दूरी बनाने की सलाह दी और कहा कि इस तरह के बयान गुजरात कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक हैं।
कांग्रेस नेता आचार्य ने कहा- इस फैसले से कई कार्यकर्ताओं का दिल टूटा
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मामले पर कहा, "राम मंदिर और भगवान राम सबके हैं। राम मंदिर को संघ और भाजपा का मान लेना दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस हिंदू विरोधी पार्टी नहीं है और न ही राम विरोधी है। कुछ लोगों ने इस तरह का फैसला लेने में भूमिका अदा की है। इस फैसले से आज पार्टी के कई कार्यकर्ताओं का दिल टूटा है।" आचार्य ने एक्स भी पर ट्वीट कर इस फैसले पर निराशा व्यक्त की।
इन वरिष्ठ नेताओं ने किया फैसले का समर्थन
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय, वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल और उदित राज जैसे नेताओं ने पार्टी के फैसले का समर्थन किया है और कहा कि भाजपा राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने पार्टी के फैसले पर कहा, "मैं हिंदू हूं, मैं राम भक्त हूं, मैं हनुमान भक्त हूं। हम सभी यहां से प्रार्थना करते हैं। यह हमारे दिल में है। यहां राजनीतिकरण करने के लिए कुछ नहीं है।"
कांग्रेस ने अपने फैसले में क्या कहा था ?
बुधवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि पार्टी ने राम मंदिर कार्यक्रम के न्योते को 'सम्मानपूर्वक अस्वीकार' कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह समारोह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का एक राजनीतिक कार्यक्रम है, इसलिए पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत अन्य नेता इसमें शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि चुनावी लाभ के लिए आधे बने मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है।