#NewsBytesExplainer: क्या होता है श्वेत पत्र, जो मोदी सरकार लेकर आई है?
संसद के बजट सत्र के दौरान आज गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से संसद में श्वेत पत्र (व्हाइट पेपर) पेश किया गया। इसमें सरकार ने अपने 10 साल के कार्यकाल की आर्थिक उपलब्धियों को गिनाया है और इनकी तुलना कांग्रेस के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार की आर्थिक नाकामियों से की गई है। आइए समझते हैं कि आखिर श्वेत पत्र क्या होता है और क्यों पेश किया जाता है।
श्वेत पत्र क्या होता है?
श्वेत पत्र एक तरह का दस्तावेज होता है, जो सरकार की नीतियों, उपलब्धियों और मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए पेश किया जाता है। आमतौर पर इसका उपयोग नई नीति या कानून को पेश करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग जनता की प्रतिक्रिया जानने या जनसमर्थन हासिल करने के लिए भी होता है। ये दस्तावेज एक सफेद कवर में बंधा होता है, इसलिए इसे श्वेत पत्र कहा जाता है।
कौन जारी कर सकता है श्वेत पत्र?
जरूरी नहीं कि केवल सरकार के पास ही श्वेत पत्र जारी करने का अधिकार हो। कोई भी संस्थान या कंपनी भी श्वेत पत्र जारी कर सकती है। कंपनी इसके जरिए अपने ग्राहकों, कर्मचारियों या जनता को अपने उत्पादों की विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकती है। इसके अलावा कई संस्था अपने द्वारा शुरू की गई तकनीक का प्रचार-प्रसार करने के लिए भी श्वेत पत्र जारी करती हैं। आसान भाषा में समझें तो ये एक सूचनात्मक दस्तावेज होता है।
क्या है श्वेत पत्र का इतिहास?
श्वेत पत्र की शुरुआत आज से 102 साल पहले 1922 में ब्रिटेन में हुई थी। ब्रिटेन के तत्कालीन मंत्री विंस्टन चर्चिल ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर दुनिया का पहला श्वेत पत्र जारी किया था। इसमें सरकार ने फिलिस्तीन को लेकर अपनी नीति स्पष्ट की थी। इसके बाद गुलाम और आजाद भारत में भी श्वेत पत्र लाए गए। 1990 के दशक में संस्थानों ने भी इनका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
क्या भारत में पहले भी किसी सरकार ने श्वेत पत्र पेश किया है?
आजाद भारत का पहला श्वेत पत्र 1948 में जारी किया गया था। इसमें रियासतों के भारत में विलय से जुड़ी जानकारी थी। देश के पहले बजट के दौरान 1950 में भी श्वेत पत्र पेश किया गया था। नरेंद्र मोदी की सरकार ने भी 2014 में रेलवे में राजस्व और किराए से जुड़े श्वेत पत्र पेश किए थे। केंद्र सरकार द्वारा आखिरी श्वेत पत्र 2020 में लाया गया था। इसे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय ने जारी किया था।
सरकार अभी क्यों लाई श्वेत पत्र?
दरअसल, विपक्ष अर्थव्यवस्था की हालत को लेकर सरकार पर सवाल उठाता रहा है। इसी वजह से चुनावों से ठीक पहले अपनी उपलब्धियों को दर्शाने और UPA सरकार की विफलताओं को गिनाने के लिए सरकार श्वेत पत्र लेकर आई है। अनुमान है कि अगले 3 सालों में भारत 5 लाख करोड़ डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। सरकार इन्हीं आंकड़ों के आधार पर विपक्ष को घेरना चाहती है।
ब्लैक पेपर क्या होता है?
ब्लैक पेपर श्वेत पेपर का ठीक उलटा होता है। इसे सरकार की विफलताओं को गिनाने या सरकारी दावों और आंकड़ों के जवाब में विपक्षी पार्टी द्वारा पेश किया जाता है। आज ही कांग्रेस ने '10 साल अन्याय काल' नाम से मोदी सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर जारी किया है। पार्टी का कहना है कि इसमें मोदी सरकार के 10 साल में युवाओं, महिलाओं, किसानों और श्रमिकों पर हुए अन्याय से जुड़ी जानकारी है।