संसद में आज से बजट सत्र की शुरुआत, राष्ट्रपति मुर्मू देंगी पहला अभिभाषण
क्या है खबर?
संसद में आज बजट सत्र शुरू हो रहा है और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पहले अभिभाषण के साथ इसकी शुरुआत होगी।
सरकार की प्राथमिकता राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और वित्त विधेयक समेत अन्य विधयकों को पारित कराने की है, जबकि दो विपक्षी पार्टियों ने इस अभिभाषण के बहिष्कार का ऐलान किया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार (1 फरवरी) को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण केंद्रीय बजट पेश करेंगी।
बहिष्कार
BRS और AAP ने किया राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का किया ऐलान
भारत राष्ट्र समिति (BRS) के नेता के केशव राव ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार सभी मोर्चों पर विफल साबित हुई है और इस लेकर उनकी पार्टी राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेगी।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी अभिभाषण का बहिष्कार करने की बात कही है।
आज बजट सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मीडिया से बातचीत करेंगे और इसके बाद दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति का पहला अभिभाषण होगा।
बजट सत्र
कब तक चलेगा बजट सत्र?
दोनों सदनों में राष्ट्रपति के संयुक्त अभिभाषण के बाद आज संसद में सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगी। बजट सत्र के दौरान लगभग 36 विधेयक संसद में पेश किये जाएंगे, जिनमें से चार बजटीय अभ्यास से संबंधित हैं।
बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी तक चलेगा और दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान 27 दिन कार्यवाही होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल संसद में 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी।
सर्वदलीय बैठक
विपक्ष की अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग
ससंदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें 27 राजनीतिक पार्टियों के 37 नेताओं ने हिस्सा लिया।
इस दौरान कांग्रेस, AAP, वामपंथी दलों और अन्य ने अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की मांग की।
जोशी ने सर्वदलीय बैठक के बाद कहा, "सरकार संसद में नियमों के तहत हर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है, हम विपक्ष का सहयोग चाहते हैं।"
सत्र के मुद्दे
बजट सत्र में विपक्षी दलों के क्या रहेंगे प्रमुख मुद्दे?
विपक्षी पार्टियों ने सरकार से अडाणी समूह पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों पर संसद में चर्चा कराने की मांग है। कुछ पार्टियों ने सर्वदलीय बैठक में उनके शासन वाले राज्यों में राज्यपालों के आचरण का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया।
इसके अलावा कुछ अन्य विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रव्यापी जाति आधारित आर्थिक जनगणना की मांग की है, जबकि कुछ पार्टियों ने सरकार से संसद में महिला कोटा विधेयक पारित करने की भी मांग की है।