#NewsBytesExplainer: राम मंदिर का निर्माण कैसे किया जा रहा, इसमें क्या-क्या होगा और कितना खर्च आएगा?
अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हो गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर्षोल्लास के बीच रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की। मंदिर को बनाने में बेहद खास तकनीक और वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है। दावा किया जा रहा है कि अगर 6.5 तीव्रता का भूकंप आया तो भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं होगा। आइए जानते हैं कि राम मंदिर का निर्माण कैसे किया जा रहा और इसमें क्या खास है।
नागर शैली में हो रहा मंदिर निर्माण
राम मंदिर का निर्माण इंजीनियरिंग एवं निर्माण समूह लार्सन एंड टुब्रो (L&T ) कर रहा है। इसकी डिजाइन 81 साल के वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटे आशीष ने मिलकर बनाई तैयार की है। 70 एकड़ में फैले इस मंदिर परिसर को पारंपरिक नागर शैली में बनाया जा रहा है। इस शैली में मंदिर का मुख्य भवन एक ऊंचे चबूतरे पर बनाया जाता है। चबूतरे पर ही एक गर्भगृह है, जिसमें राम लला की मूर्ति को स्थापित किया गया है।
मंदिर में होंगे 392 खंभे और 5 मंडप
राम मंदिर की लंबाई (पूर्व-पश्चिम दिशा) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी। मंदिर 3 मंजिला रहेगा और हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे होंगे और 44 फाटक होंगे। प्रथम तल पर श्री राम दरबार होगा। गर्भगृह के चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ है। गर्भगृह की धुरी पर नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप औक कीर्तन मंडप बनाए गए हैं, जिनकी दीवारों पर नक्काशी उकेरी जा रही है।
मंदिर निर्माण में इस्तेमाल किये गए हैं खास पत्थर
निर्माण में खास ईंटों को शामिल किया गया है, जिन्हें 'राम शिला' के नाम से जाना जाता है। इन पर 'श्री राम' लिखा हुआ है। माना जाता है कि ये ईंटें राम सेतु के निर्माण में इस्तेमाल किए गए पत्थरों के साथ एक प्रतीकात्मक समानता दर्शाती हैं। मंदिर के भूतल पर 160 खंभे हैं। पहली मंजिल 132 खंभों पर टिकी है और दूसरी मंजिल में 74 खंभे हैं। लंबी उम्र देने के लिए स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
मंदिर निर्माण में सीमेंट, कंक्रीट और लोहे का प्रयोग नहीं
निर्माण में सीमेंट, कंक्रीट और लोहे की जगह भरतपुर जिले की खदानों से प्राप्त गुलाबी बंसी पहाड़पुर पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा, जिससे मंदिर अगले 1,000 साल तक ऐसा ही रहेगा। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है, जिसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर की नींव 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनी है और बाहरी तापमान से बचाने के लिए नींव में सेल्फ-कॉम्पैक्ट कंक्रीट का उपयोग किया गया है।
कैसा होगा मंदिर में प्रवेश का रास्ता?
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार के जरिए मंदिर में प्रवेश होगा। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प और लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर में कुल 14 दरवाजे सोने से मढ़े हैं। मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा, जिसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट होगी। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव को समर्पित 4 मंदिरों का निर्माण होगा।
परिसर में और कौन से मंदिर बनेंगे?
मंदिर के परकोटा की उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे। दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। यहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
मंदिर परिसर में क्या-क्या सुविधाएं हैं?
मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था और स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है। परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन और ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। इसके अलावा परिसर में 25,000 क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर और चिकित्सा की सुविधा रहेगी।
राम मंदिर के निर्माण पर कितना खर्च आया?
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, राम मंदिर हाल के वर्षों में भारत में सबसे महंगी धार्मिक परियोजनाओं में से एक है और इसकी अनुमानित लागत 1,800 करोड़ रुपये है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दान में 3,500 करोड़ रुपये मिले हैं। इस राशि के 51.4 प्रतिशत हिस्से का उपयोग निर्माण कार्यों पर और बाकी का इस्तेमाल रखरखाव और अन्य गतिविधियों के लिए होगा। इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा 'टाइम कैप्सूल' के निर्माण पर भी खर्च किया गया है।