पूर्वोत्तर में शांति की राह में बड़ा कदम, सरकार और ULFA के बीच हुआ शांति समझौता
पूर्वोत्तर भारत और खासकर असम में शांति स्थापित करने की दिशा में आज एक सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने असम के उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के एक गुट के साथ शांति समझौता किया है। नई दिल्ली में गृह मंत्रालय में हुई बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और ULFA प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
क्या है समझौते के प्रमुख बिंदु?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, समझौते के तहत केंद्र सरकार सशस्त्र आंदोलन छोड़ चुके ULFA के सदस्यों को मुख्य धारा में लाने के प्रयास करेगी और रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया कराएगी। असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रहेगी और लोगों को बेहतर रोजगार के साधन राज्य में ही मुहैया कराए जाएंगे। बता दें कि ये केंद्र सरकार, असम सरकार और ULFA के एक गुट के बीच हुआ त्रिपक्षीय समझौता है।
गृह मंत्री बोले- आज असम के भविष्य के लिए उज्जवल दिन
समझौते को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "यह मेरे लिए खुशी की बात है। आज असम के भविष्य के लिए एक उज्जवल दिन है। लंबे समय तक असम और पूर्वोत्तर ने हिंसा का सामना किया। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दिल्ली और असम के बीच के अंतर को कम करने के प्रयास किए गए। मोदी सरकार पूर्वोत्तर के विकास पर ध्यान दे रही है।"
आज असम के लिए ऐतिहासिक दिन- सरमा
असम के मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, "आज असम के लिए एक और ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल, गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में हमारे असम की शांति प्रक्रिया निरंतर चलती रही। हमने बोडो समझौता किया, आदिवासी समझौता किया और उग्रवादी समूहों से जुड़े करीब 8,756 युवा साथी सारे मुख्य धारा में आ चुके हैं। इन समझौते से असम में उग्रवाद खत्म हो चुका है। आज सभी संगठन मुख्य धारा में हैं।"
ULFA के एक गुट के साथ हुआ है समझौता
ये समझौता ULFA संगठन के उस गुट के साथ हुआ है, जिसकी अगुवाई अनूप चेतिया कर रहे हैं। परेश बरुआ की अगुवाई में संगठन का ही एक दूसरा गुट अभी भी सक्रिय है। उसने सरकार द्वारा प्रस्तावित समझौते की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में तब तक शांति नहीं आ सकती, जब तक संगठन का दूसरा गुट भी समझौते में शामिल नहीं होता।
क्या है ULFA?
ULFA भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में सक्रिय एक प्रमुख उग्रवादी संगठन है। इसका गठन 7 अप्रैल, 1979 में परेश बरुआ ने अपने साथी अरबिंद राजखोवा, गोलाप बरुआ उर्फ अनुप चेतिया, समीरन गोगोई उर्फ प्रदीप गोगोई और भद्रेश्वर गोहैन के साथ मिलकर किया था। इस संगठन के गठन का उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से असम को एक 'स्वायत्त और संप्रभु राज्य' बनाना था। 1990 में सरकार ने संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था।