भारत ने कनाडाई चुनावों में हस्तक्षेप के आरोपों का खंडन किया, कहा- ये हमारी नीति नहीं
भारत ने कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि दूसरे देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करना भारत की नीति नहीं है। जायसवाल ने कहा कि उल्टा कनाडा हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। बता दें कि कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कनाडा ने भारत पर चुनावों में हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए हैं।
कनाडा हमारे मामलों में हस्तक्षेप कर रहा- जायसवाल
जायसवाल ने संवाददाताओं से कहा, "हमने विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रहे एक कनाडाई आयोग के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं। हम कनाडाई चुनावों में भारतीय हस्तक्षेप के इस तरह के निराधार आरोपों को दृढ़ता के साथ खारिज करते हैं। अन्य देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना भारत की नीति नहीं है। हम नियमित रूप से उनके साथ ये मुद्दा उठाते रहे हैं। वास्तव में इसके विपरीत कनाडा हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है।"
क्या है मामला?
दरअसल, कनाडा की खुफिया सुरक्षा सेवा (CSIS) की ओर से सार्वजनिक की गई एक खुफिया रिपोर्ट में भारत पर वहां के चुनावों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया है। ग्लोबल न्यूज के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप में शामिल है और इस पर चिंता व्यक्त की गई है। रिपोर्ट में चीन और भारत को शीर्ष खतरों के रूप में नामित किया गया है।
जांच आयोग ने मांगे थे भारत से जुड़े दस्तावेज
कनाडाई चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप की जांच न्यायाधीश मैरी-जोसी हॉग के नेतृत्व वाला एक स्वतंत्र आयोग कर रहा है। 25 जनवरी को आयोग ने कनाडा सरकार से भारत से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। आयोग ने सरकार के दस्तावेज संग्रह विभाग से अनुरोध किया था कि वो 2019 और 2021 के चुनावों में भारत द्वारा कथित हस्तक्षेप से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराए। 29 जनवरी से इस मामले पर सुनवाई चल रही है।
तनावपूर्ण बने हुए हैं भारत-कनाडा संबंध
वैसे तो भारत और कनाडा के संबंध काफी सालों से बेहतर रहे हैं, लेकिन बीते कुछ सालों में इनमें खटास आई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने के आरोप लगाए थे। इस मुद्दे पर धीरे-धीरे विवाद बढ़ता गया और दोनों देशों ने एक-दूसरे के नागरिकों को वीजा जारी करने पर रोक लगा दी और राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया।