अडाणी समूह को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने SIT जांच की मांग खारिज की
कारोबारी गौतम अडाणी और उनके अडाणी समूह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हिंडनबर्ग रिसर्च से जुड़े विवाद में कोर्ट ने जांच को विशेष जांच दल (SIT) को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियामक ढांचे में दखल करने की कोर्ट की शक्ति सीमित है और जांच को SEBI से SIT को स्थानांतरित करने का कोई आधार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
OCCPR रिपोर्ट और अखबरों के आधार पर SEBI की जांच पर संदेह नहीं किया जा सकता। मामले की जांच SIT को सौंपने से इनकार किया, यानि SEBI ही जांच करेगी। SEBI को बचे 2 मामलों की जांच 3 महीने में करनी होगी। 22 मामलों की जांच हो चुकी है। सरकार और SEBI को निवेशकों के हित मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर काम करना होगा। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के खिलाफ जांच की जाए।
विस्तार से जानें कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) की रिपोर्ट के आधार पर SEBI की जांच पर संदेह नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि SEBI ने 22 में से 20 मामलों की जांच पूरी कर ली है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए हम SEBI को अन्य 2 मामलों में 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश देते हैं।"
कोर्ट का हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खिलाफ जांच का आदेश
CJI ने कहा, "सरकार और SEBI इस पर गौर करें कि क्या शॉर्ट सेलिंग पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से कानून का कोई उल्लंघन हुआ है। अगर हुआ है तो कानून के अनुसार कार्रवाई करें।" कोर्ट ने उसके द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सदस्यों के हितों के टकराव से संबंधी दलीलों को भी खारिज कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि सरकार और SEBI भारतीय निवेशकों के हित को मजबूत करने के लिए समिति की सिफारिशों पर विचार करे।
कोर्ट ने कहा- अखबारों की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "SEBI पर सवाल उठाने के लिए अखबारों की रिपोर्ट्स और तीसरे पक्ष के संगठनों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इन्हें इनपुट के रूप में माना जा सकता है, लेकिन जांच पर संदेह करने के लिए निर्णायक सबूत के तौर पर नहीं।" उसने कहा कि जनहित याचिका को आम नागरिकों के लिए लाया गया था, लेकिन ऐसी याचिकाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता जिनमें पर्याप्त शोध न हो और जो अप्रमाणित रिपोर्ट्स पर आधारित हों।
क्या है अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद?
अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी, 2023 को अडाणी समूह को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में समूह पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर की कीमत बढ़ा-चढ़ाकर बताने जैसे कई आरोप लगाए गए थे। उद्योगपति गौतम अडाणी पर अपने परिवार के जरिए फर्जी कंपनी चलाने का आरोप भी लगाया गया था। रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट हुई थी और अडाणी की व्यक्तिगत संपत्ति भी काफी नीचे गिर गई थी।
SIT से जांच कराने की क्यों हो रही थी मांग?
SEBI पर आरोप है कि उसने पहले भी अडाणी समूह के खिलाफ मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा कोर्ट ने मामले की जांच के लिए SEBI को पहले 2 मई तक का समय दिया था। बाद में SEBI ने 6 महीनों का अतिरिक्त समय मांगा, जिसके बाद कोर्ट ने 14 अगस्त तक समय दिया। इसके बावजूद अभी तक रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है। SEBI के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग भी थी।
विशेषज्ञ समिति के सदस्यों के हितों के टकराव वाला मामला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए जो विशेषज्ञ समिति बनाई थी, उसमें अभय मनोहर सप्रे, ओपी भट्ट, जेपी देवधर, केवी कामथ, नंदन निलकेनी और शेखर सुंदरेशन शामिल थे। इनमें से भट्ट, कामथ और सुंदरेशन पर हितों के टकराव से जुड़े आरोप लगे थे। भट्ट अडाणी से जुड़े एक कंपनी के अध्यक्ष हैं, कामथ का नाम ICICI बैंक से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में सामने आया था और सुंदरेशन कई मामलों में अडाणी समूह की पैरवी कर चुके हैं।