#NewsBytesExplainer: बिहार में सुप्रीम कोर्ट की तय सीमा से ज्यादा आरक्षण कैसे देंगे नीतीश कुमार?
क्या है खबर?
बिहार में 2024 के आम चुनावों से पहले आरक्षण सीमा को बढ़ाने से जुड़ा विधेयक 9 नवंबर को पास हो गया।
नीतीश कुमार की सरकार ने आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया। 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को मिलेगा, जिससे यह सीमा 75 प्रतिशत हो गई है।
आइए जानते हैं देश के किन राज्यों में आरक्षण सीमा अधिक है और बिहार में इसका क्या भविष्य है।
प्रावधान
देश में आरक्षण के लिए क्या प्रावधान?
सुप्रीम कोर्ट ने देश में अधिकतम आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तय की है।
दरअसल, 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में फैसला सुनाते हुए जातिगत आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत कर दी थी। इस फैसले के बाद ये कानून बन गया कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती।
हालांकि, जुलाई, 2010 में कोर्ट ने ठोस वैज्ञानिक डाटा के आधार पर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक करने की अनुमति दी थी।
आरक्षण स्थिति
आरक्षण की सीमा को लेकर क्या प्रावधान है?
वर्तमान में देश में 49.5 प्रतिशत आरक्षण है जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (SC) को 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (ST) 7.5 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण को सही ठहराया था, क्योंकि इससे संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचता है।
आरक्षण
किन परिस्थितियों में तय सीमा से ज्यादा हो सकता है आरक्षण?
संविधान की धारा 15 (4), 15(5) और 16 (4) के तहत पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया जाता है।
हालांकि, 50 प्रतिशत की सीमा किसी कानून द्वारा निर्धारित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि असाधारण परिस्थितियों में इसे बढ़ाया जा सकता है।
समानता के अधिकार के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में संशोधन करके इसे बढ़ाया जा सकता है।
वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में 10 प्रतिशत आरक्षण का ऐलान किया था।
राज्य
किन-किन राज्यों में है 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण ?
तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण लागू है।
आरक्षण संबंधित कानून की धारा-4 के तहत पिछड़े वर्ग के लिए 30, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 20, SC के लिए 18 और ST के लिए एक प्रतिशत आरक्षण लागू है।
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने विधेयक पास कर कुल आरक्षण की सीमा 77 प्रतिशत कर दी है। इसके तहत OBC (27 प्रतिशत), ST (28 प्रतिशत) SC (12 प्रतिशत) और EWS (10 प्रतिशत)है।
कर्नाटक में आरक्षण सीमा 56 प्रतिशत है।
फैसला रद्द
किन राज्यों में कोर्ट ने रद्द किया सीमा से ज्यादा आरक्षण?
महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की घोषणा की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में इसे रद्द कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में आंध्र प्रदेश सरकार शिक्षकों की भर्ती के लिए SC के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया था।
इसके अलावा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिश और गुजरात के आरक्षण को 50 प्रतिशत से अधिक करने के फैसले सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट रद्द कर चुका है।
विकल्प
आरक्षण लागू करने के लिए नीतीश कुमार के पास क्या विकल्प हैं?
बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने सदन में सर्वसम्मति से विधेयक पास किया है।
उम्मीद है कि राज्यपाल इसे राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं।
हालांकि, नीतीश इसे संविधान की 9वीं अनुसूची के तहत रखें और अगर केंद्र भी इसी सूची के तहत रख लेता है तो इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती।
इसके अलावा अगर कोर्ट में मामला जाता है तो कुमार जातिगत जनगणना से अपने दावे को मजबूत कर सकते हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
1991 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पीवी नरसिम्हा राव ने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था। तब इसका बड़े स्तर पर विरोध हुआ था
उस समय पेशे से वकील और पत्रकार इंदिरा साहनी ने इसके खिलाफ कोर्ट में इसे चुनौती दी थी।
तब इस मामले पर 9 जजों की पीठ ने कहा था कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए, केवल विशेष परिस्थिति में यह संभव है।