अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान, कहा- भारतीय बाजार अच्छी तरह से विनियमित
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के कारण अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट पर प्रतिक्रिया देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय बाजार अच्छी तरह से विनियमित है और इस मामले से भारत पर निवेशकों के भरोसे में कोई कमी नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि एक मामले चाहें वो कितना भी बड़ा क्यों न हो, ये नहीं दर्शा सकता कि भारतीय वित्तीय बाजार को कितनी अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा रहा है।
वित्त मंत्री ने क्या-क्या कहा?
न्यूज 18 के इंटरव्यू में अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद के बीच वैश्विक निवेशकों के लिए सरकार का संदेश पूछे जाने पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, "भारत पहले की तरह ही एक अच्छी तरह से शासित, स्थिर सरकार और अच्छी तरह से विनियमित बाजार बना हुआ है। इसके कारण निवेशकों का जो विश्वास पहले था, वो अभी भी बना रहना चाहिए। हमारे नियामक (रेगुलेटर्स) सरकारी नियमों को लेकर बेहद सख्त हैं।" उन्होंने कहा कि एक मामला इस पर असर नहीं डाल सकता।
SBI और LIC का अडाणी में निवेश तय सीमा के अंदर- सीतारमण
अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट से सरकारी वित्तीय संगठनों को नुकसान पर सीतारमण ने कहा कि उन्होंने तय सीमा के अंदर ही अडाणी समूह में निवेश किया है और उन्हें इससे अधिक नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा, "SBI (भारतीय स्टेट बैंक) और LIC (भारतीय जीवन बीमा निगम) दोनों अडाणी मामले पर बयान जारी कर चुके हैं। उन्होंने अधिक निवेश नहीं किया है। उन्होंने साफ कहा है कि उनका निवेश तय सीमा के अंदर है और वो फायदे में हैं।"
वित्त सचिव ने भी LIC और SBI के निवेश को बहुत कम बताया
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने भी NDTV के साथ इंटरव्यू में मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी कंपनी में LIC और SBI का निवेश उस स्तर से काफी कम होता है, जितने पर बैंक और LIC के निवेशकों को चिंता करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "ये बहुत कम है। एक कंपनी का भाग्य इन दोनों संस्थानों पर ज्यादा प्रभाव नहीं डालेगा, इसलिए किसी भी जमाकर्ता, पॉलिसी-होल्डर और निवेशक को चिंता नहीं करनी चाहिए।"
क्या है पूरा मामला?
अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में गौतम अडाणी पर 'कार्पोरेट जगत की सबसे बड़ी धोखाधड़ी' का आरोप लगाया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडाणी समूह की कंपनियों पर इतना कर्ज है, जो पूरे समूह को वित्तीय तौर पर अधिक जोखिम वाली स्थिति में खड़ा कर देता है। अडाणी पर अपने परिवार के जरिए फर्जी कंपनी चलाने का आरोप भी लगाया गया है। समूह ने इन आरोपों को खारिज किया है।
रिपोर्ट के बाद समूह को हुआ लाखों करोड़ रुपये का नुकसान
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से ही अडाणी समूह से जुड़ी कंपनियों के शेयरों की कीमत में गिरावट जारी है और समूह को अब तक 120 अरब डॉलर (9.83 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो चुका है। इसके अलावा समूह ने 20,000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) भी वापस लिया है। अडाणी समूह में LIC ने लगभग 32,800 करोड़ रुपये निवेश किए हुए हैं, वहीं SBI ने उसे लगभग 27,000 करोड़ रुपये का लोन दे रखा है।