मणिपुर वीडियो: वो सवाल, जिनका जवाब मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को देना चाहिए
मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश में उबाल है। ये वीडियो सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 2 महीने से साध रखी चुप्पी तोड़ी है और कड़ी कार्रवाई की बात कही है। मणिपुर के मुख्यमंत्री भी दोषियों को फांसी की सजा दिलाने की बात कह रहे हैं। हालांकि, इन सबके बीच कई ऐसी बातें हैं, जो केंद्र, राज्य और गृह मंत्रालय की भूमिका पर सवाल पैदा कर रही हैं।
पुलिस ने जानकारी के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, घटना 4 मई को हुई और पुलिस ने 18 मई को इस संबंध में FIR भी दर्ज की थी। पुलिस महिलाओं को थाने लेकर आ रही थी, लेकिन भीड़ ने पुलिस से महिलाओं को छुड़ा लिया। इसका मतलब इस घटना की पूरी जानकारी पुलिस को थी। सवाल उठता है कि 18 मई को FIR दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की और वीडियो आने के बाद ही पहली गिरफ्तारी क्यों हुई?
राज्य सरकार अब तक किस बात का इंतजार कर रही थी?
मणिपुर पुलिस राज्य सरकार के अंतर्गत आती है। जाहिर सी बात है कि इतनी बड़ी घटना की जानकारी पुलिस ने सरकार को जरूर दी होगी। इसके बावजूद राज्य सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? अगर पुलिस ने सरकार को घटना के बारे में बताया ही नहीं तो ऐसा क्यों किया गया? हालांकि, ऐसा होने के आसार बहुत कम हैं कि पुलिस ने सरकार को जानकारी नहीं दी हो।
क्या मुख्यमंत्री घटना को दबाना चाहते थे?
घटना के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ट्वीट में लिखा, 'वीडियो सामने आने के तुरंत बाद घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए मणिपुर पुलिस हरकत में आई।' इस ट्वीट की भाषा से लग रहा है कि बीरेन सिंह को पहले से कोई जानकारी ही नहीं थी। क्या पुलिस ने इस घटना के बारे में मुख्यमंत्री को नहीं बताया था? अगर बताया था तो क्या मुख्यमंत्री जानबूझकर मामला दबाने की कोशिश कर रहे थे?
गृह मंत्रालय को घटना के बारे में क्यों पता नहीं था?
गृह मंत्री अमित शाह ने घटना होने के बाद 30 मई से 4 दिन तक मणिपुर का दौरा किया था। इस दौरान वे मुख्यमंत्री से लेकर कई आला अफसरों से मिले। क्या ये संभव है कि किसी ने भी गृह मंत्री को उक्त घटना की जानकारी नहीं दी? अगर नहीं दी तो इसका मतलब हुआ कि राज्य सरकार मामला दबाना चाहती थी। अगर गृह मंत्री को घटना के बारे में बताया गया था तो उन्होंने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?
प्रधानमंत्री अब तक हिंसा पर मौन क्यों रहे?
3 मई से मणिपुर में हिंसा जारी है। 140 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक मणिपुर पर एक भी बैठक नहीं की है। मामले पर 24 जून को गृह मंत्री की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में भी प्रधानमंत्री मौजूद नहीं थे। हिंसा शुरू होने के बाद से अब तक प्रधानमंत्री ने इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया था। सवाल है कि उन्होंने हिंसा रोकने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया?
केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाया?
किसी भी राज्य की कानून-व्यवस्था अगर राज्य सरकार से नहीं संभलती है तो केंद्र के पास राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार होता। मणिपुर में भी राष्ट्रपति शासन की मांग हो रही है, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक ऐसा नहीं किया। केंद्र सरकार चाहती तो मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री सिंह एक बार इस्तीफा सौंपने गए जरूर थे, लेकिन "भीड़ ने उनका इस्तीफा फाड़ दिया", जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया।