गीता प्रेस को मिला गांधी शांति पुरस्कार, कांग्रेस बोली- ये गोडसे को सम्मान देने जैसा
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने गोरखपुर की गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने का ऐलान किया है। इसे लेकर कांग्रेस ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति के लिए निर्णय पर सवाल खड़े करते हुए इसे उपहास का विषय बताया है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का यह निर्णय सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।
पुरस्कार
क्या है मामला?
केंद्र सरकार ने 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गोरखपुर की गीता प्रेस को चुना है।
संस्कृति मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए कहा, "गांधी शांति पुरस्कार, 2021 मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने में गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो सच्चे अर्थों में गांधीवादी जीवन का प्रतीक है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने भी गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर ट्वीट करते हुए बधाई दी है।
बयान
कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता जयराम ने ट्विटर पर लिखा, '2021 का गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर की गीता प्रेस को प्रदान किया गया है, जो इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रही है। इस संगठन की 2015 में अक्षय मुकुल द्वारा लिखित एक बहुत ही बेहतरीन बायोग्राफी है, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे के खिलाफ इसकी मुहिम का खुलासा किया है। यह निर्णय सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।'
भाजपा
भाजपा ने किया कांग्रेस पर पलटवार
कांग्रेस के गीता प्रेस पर सवाल उठाने पर भाजपा ने पलटवार किया है।
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्विटर पर लिखा, 'कांग्रेस को किसी भी हिंदू से सख्त नफरत है। कांग्रेस गीता प्रेस से नफरत करती है क्योंकि सनातन और हिंदू धर्म के वास्तविक संदेश को हर नुक्कड़ पर फैलाया जाता है।'
उन्होंने लिखा, 'कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानती है, लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है; जाकिर नाइक शांति का मसीहा है, लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है।'
जानकारी
गीता प्रेस ने पुरस्कार की 1 करोड़ रुपये नकद राशि लेने से इनकार किया
गीता प्रेस ने गांधी शांति पुरस्कार का 1 करोड़ रुपये नकद पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है। उसने कहा कि वह केवल प्रशस्ति पत्र स्वीकार करेगी और सरकार को यह राशि कहीं दूसरी जगह खर्च करनी चाहिए।
पुरस्कार
क्या है गांधी शांति पुरस्कार?
गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जिसकी शुरुआत भारत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधी के आदर्शों को सम्मान देने के लिए की थी।
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, यह पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है, चाहे उसकी राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग कोई भी हो।
मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार में एक करोड़ रुपये, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा वस्तु शामिल है।
गीता प्रेस
गीता प्रेस क्या है?
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में साल 1923 में गीता प्रेस की शुरुआत हुई थी। गीता प्रेस को दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक माना जाता है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं।
इन पुस्तकों में श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां भी शामिल हैं। इस संस्था ने कभी भी अपना राजस्व बढ़ाने के लिए अपने प्रकाशनों में विज्ञापन पर भरोसा नहीं किया।
गीता प्रेस को इस साल 100 साल पूरे होने जा रहे हैं।