हंगामे के चलते एक दिन पहले खत्म हुआ शीतकालीन सत्र, उपराष्ट्रपति ने दी 'आत्मनिरीक्षण' की सलाह

आज राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के साथ ही संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू हुआ था और इसे 23 दिसंबर तक चलना था। लेकिन विपक्ष के विरोध प्रदर्शनों के चलते राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने तय समय से एक दिन पहले ही सत्र को समाप्त करने का फैसला लिया।
सभापति वैंकेया नायडू ने कहा कि सदन ने अपनी क्षमता से काफी कम काम किया। उपराष्ट्रपति ने सांसदों से आत्मनिरीक्षण करने और यह विचार करने का आग्रह किया कि यह सत्र किस तरह से अलग और बेहतर हो सकता था। उन्होंने कहा कि सदस्यों को यह एहसास होना चाहिए कि जो हुआ वो गलत हुआ। उन्होंने जोर देकर कहा कि सदस्यों द्वारा नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए और उन्हें सदन की मर्यादा और शालीनता बनाए रखनी चाहिए।
शीतकालीन सत्र के दौरान कुल 18 बैठकें हुईं और कई अहम विधेयक पारित किए गए। NDTV की खबर के अनुसार, सरकार ने सत्र में कुल 12 विधेयक पेश किए थे। इनमें कृषि कानून निरसन विधेयक और चुनाव कानून (संशोधन) जैसे अहम विधेयक शामिल हैं। कृषि कानून निरसन विधेयक तो सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा और लोकसभा में बिना किसी चर्चा के पारित हो गए था, वहीं चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक मंगलवार को पारित हुआ।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि लोकसभा की कुल उत्पादकता 82 प्रतिशत रही और सदन की कार्यवाही 83 घंटे से भी ज्यादा चली। कोविड-19 पर 12 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई, वहीं जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर छह घंटे से ज्यादा चर्चा हुई। लोकसभा में 18 घंटे से भी ज्यादा समय विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया। निचले सदन में 2 दिसंबर के दिन 204 प्रतिशत की सर्वाधिक उत्पादकता देखी गई।
पूरे शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने हंगामा किया। पिछले सत्र के आचरण के आधार पर 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। विपक्षी पार्टियों ने इन सांसदों का निलंबन रद्द करवाने के लिए विरोध प्रदर्शन किए। विपक्ष सरकार से गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से निकालने की मांग भी कर रहा था। चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक को लेकर भी विपक्ष ने भारी विरोध किया। विपक्ष विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग कर रहा था।