संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त, जानें कौन-कौन से अहम बिल हुए पारित
संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया है। 18 नवंबर को शुरू हुए इस सत्र का अंत शुक्रवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की 'रेप इन इंडिया' टिप्पणी के खिलाफ भाजपा सांसदों के जोरदार हंगामे के साथ हुआ। इस दौरान दोनों सदनों से कई अहम बिल पारित हुए जिनमें नागरिकता (संशोधन) बिल और स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) बिल भी शामिल हैं जिन पर जमकर हंगामा हुआ। आइए इन्हीं बिलों और सत्र में हुए कामकाज पर एक नजर डालते हैं।
नागरिकता संशोधन बिल रहा सबसे अहम
शीतकालीन सत्र में जो सबसे अहम बिल पेश हुए वो था नागरिकता संशोधन बिल। इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार के कारण भागकर भारत आने वाले हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों को इससे बाहर रखने के कारण इस बिल का संसद में जबरदस्त विरोध हुआ था और इसे असंवैधानिक बताया था।
इन कारणों से जारी है बिल का जबरदस्त विरोध
इसके अलावा बिल का पूर्वोत्तर के राज्यों, मुख्यतौर पर असम और त्रिपुरा, में भी जमकर विरोध हुआ था जो अभी तक जारी है। इन राज्यों का डर है कि बांग्लादेश से आए बाहरी लोगों को भारतीय नागरिकता देने से उनकी भाषाई और सांस्कृतिक पहचान खतरे में पड़ सकती है। इस सारे विरोध के बावजूद बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब कानून बन चुका है।
SPG सुरक्षा को लेकर भी पेश किया गया बिल
एक और बिल जिस पर संसद में जमकर हंगामा हुआ वो था SPG सुरक्षा बिल। इसमें केवल प्रधानमंत्री और उनके साथ उनके आधिकारिक निवास पर रहने वाले परिवार के सदस्यों और पूर्व प्रधानमंत्री और उनके साथ रहने वाले पारिवारिक सदस्यों को पांच साल के लिए SPG सुरक्षा मिलने का बात कही गई थी। इसका मतलब प्रधानमंत्री पद से हटने के पांच साल बाद किसी भी नेता को SPG सुरक्षा नहीं मिलेगी।
गांधी परिवार से SPG सुरक्षा वापस लेने पर कांग्रेस ने किया विरोध
बिल पेश किए जाने के दौरान कांग्रेस ने गांधी परिवार से SPG सुरक्षा वापस लिए जाने को लेकर जबरदस्त हंगामा किया था। पूर्व प्रधानमंत्री का परिवार होने और उनकी जान को खतरा देखते हुए उन्हें SPG सुरक्षा दी गई थी।
टैक्स को लेकर कराधान कानून में हुए बदलाव
इसके अलावा इस सत्र में संसद से कराधान कानूून (संशोधन) बिल भी पारित हुआ। इस बिल में भारत की घरेलू कंपनियों को टैक्स में छूट का दावा न करने की शर्त पर 22 प्रतिशत की दर पर टैक्स देने का विकल्प दिया गया है। इससे पहले इन कंपनियों को 30 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होता था। इसके अलावा नई घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के टैक्स की दर भी 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियां को नियमित करने पर भी बिल पेश
एक और महत्वपूर्ण बिल जो संसद से पारित हुआ वो था राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अनधिकृत कॉलोनियों में निवासियों के संपत्ति अधिकारों की मान्यता) बिल। इसमें दिल्ली की 1731 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया गया है। राजधानी के आठ लाख से अधिक लोगों को इसका लाभ मिलेगा। अनधिकृत कॉलोनियों का मामला दिल्ली में एक बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है और इस बिल को अगले साल की शुरूआत में होने वाले दिल्ली विधानसभा से जोड़कर देखा जा रहा है।
ट्रांसजेंडर्स को लेकर बिल भी हुआ पारित
ट्रांसजेंडरों के अधिकारों को लेकर लाया गया ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल भी संसद के इस सत्र में पारित हुआ। इसमें ट्रांसजेंडर की पहचान एक ऐसे शख्स के तौर पर की गई है जिसका लिंग जन्म के समय निर्धारित किए गए लिंग से नहीं मिलता। ऐसे लोगों को जिलाधिकारी से ट्रांसजेंडर होने का पहचान पत्र हासिल करना होगा। बिल रोजगार, शिक्षा, आवास, स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं में ट्रांसजेंडर्स के साथ भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है।
दो अहम बिलों को सलेक्ट कमिटी के पास भेजा गया
दो अहम बिल ऐसे भी रहे जो संसद से पारित नहीं हो पाए और उन्हें सलेक्ट कमिटी के पास भेज दिया गया। इनमें निजी डाटा सुरक्षा बिल शामिल है जिसमें केंद्र सरकार को किसी भी एजेंसी को नागरिकों का निजी डाटा इकट्ठा करने का अधिकार दिया गया है। इसके लिए उन्हें ये साबित करना होगा कि किसी भी अपराध को होने से रोकने के लिए ऐसा अनिवार्य है। इस बिल को लोकसभा से सलेक्ट कमिटी के पास भेज दिया गया।
सरोगेसी को लेकर बिल भी नहीं हो सका पारित
दूसरा बिल सरोगेसी (विनियमन) बिल रहा जिसमें कमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान किया गया है। ये परोपकारी सरोगेसी की मंजूरी देता है। इसे राज्यसभा से सलेक्ट कमिटी के पास भेज दिया गया।
राज्यसभा में हुआ 100 प्रतिशत काम
अगर आंकड़ों के नजरिए से बात करें तो उच्च सदन राज्यसभा में 100 प्रतिशत काम हुआ। सदन में कुल 108 घंटे 33 मिनट काम किया गया। इसमें से 39 प्रतिशत समय बिलों पर चर्चा के लिए खर्च हुआ। इस दौरान कुल 15 पारित हुए। कुल चार दिन सभी अहम सवालों का जवाब दिया गया। इसके अलावा पहली बार किसी सांसद ने संथाली में अपनी बात रखी। ओडिशा की BJD सांसद सरोजिनी हेम्ब्रम ने इस भाषा का उपयोग किया।