बीते पांच सालों में पार्टियां बदलने वाले विधायकों में से 45 फीसदी भाजपा में गए- रिपोर्ट
पिछले कुछ सालों में पाला बदलने वाले विधायकों में से सबसे ज्यादा भाजपा में शामिल हुए हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में सामने आया है कि 2016-2020 के बीच दूसरी पार्टियां छोड़कर सबसे ज्यादा विधायक भाजपा में शामिल हुए, वहीं कांग्रेस के सबसे ज्यादा विधायकों ने दूसरी पार्टियों में जाने के लिए हाथ का साथ छोड़ा। गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में उन 443 विधायकों और सांसदों का विश्लेषण है, जिन्होंने पार्टियां बदलकर चुनाव लड़ा था।
भाजपा में शामिल हुए पार्टियां बदलने वाले 45 फीसदी विधायक
बीते पांच सालों में विश्लेषण के बाद तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टियां बदलने वालों में सबसे ज्यादा (42 प्रतिशत) विधायक कांग्रेस थे। वहीं इन पांच सालों में दूसरी पार्टियों में शामिल होने वाले महज 4.4 प्रतिशत विधायक भाजपा के थे। दूसरी तरफ पिछले पांच सालों में अपनी पार्टी छोड़ने वाले 44.9 प्रतिशत विधायक भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़े। वहीं 9.4 प्रतिशत विधायक ऐसे थे, जो दूसरी पार्टियों से कांग्रेस में आए।
विधायकों के पाला बदलने से गिरीं सरकारें- रिपोर्ट
ADR की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हालिया सालों में विधायकों के पाला बदलने से मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में सरकारें गिरी हैं। वहीं सांसदों के बारे में रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन लोकसभा 12 सासंदों ने पार्टियां बदलीं, उनमें से पांच भाजपा के थे। इसी तरह पार्टियां बदलने वाले 17 राज्यसभा सांसदों में से सात कांग्रेस के थे। यानी ये सांसद कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टियों में गए।
क्यों पार्टियां बदल रहे विधायक?
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, विधायकों के पार्टियां बदलने के सबसे बड़े कारण पैसे और बाहुबल का गठजोड़, कानूनों की कमी, पार्टियां का संचालन, ईमानदार नेताओं की कमी आदि हैं। रिपोर्ट में लिखा गया है जब तक इस तरह के ट्रेंड पर रोक नहीं लगती, देश की चुनावी और राजनीतिक स्थिति बदतर होती जाएगी। अगर उन कमियों को दूर नहीं किया जाता, जिनकी वजह से ऐसे पार्टियां बदली जाती है तो यह लोकतंत्र का मजाक होगा।
नई तरह की राजनीति की जरूरत- रिपोर्ट
ADR की रिपोर्ट में लिखा गया है, "अब वक्त आ गया है कि हमारी राजनीतिक पार्टियां और नेता सुविधा और खुद के लाभ की राजनीति को खत्म कर दृढ़ विश्वास, साहस और आम सहमति की राजनीति शुरू करे। " इस रिपोर्ट में आगे यह भी बताया गया है कि दोबारा चुनाव लड़ने वाले सांसदों और विधायकों की संपत्ति में औसतन 39 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है। बता दें कि ADR समय-समय पर ऐसी रिपोर्ट्स जारी करता रहता है।