विवाद के बाद उपराष्ट्रपति ने दिए राज्यसभा मार्शलों की नई यूनिफॉर्म की समीक्षा के आदेश
सोमवार को जब संसद को मानसून सत्र शुरू हुआ तो राज्यसभा में एक अहम बदलाव देखने को मिला। सदन के मार्शल पारंपरिक पोशाक की बजाय नई यूनिफॉर्म में दिखे जो बहुत हद तक सेना की वर्दी से मिलती-जुलती है। सैन्य वर्दी से इसी नजदीकी के कारण इस नई ड्रेस को आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसके बाद आज उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ड्रेस की समीक्षा करने का आदेश जारी किया है।
राज्यसभा सचिवालय को नई यूनिफॉर्म की समीक्षा का आदेश
मंगलवार को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राज्यसभा सचिवालय को मार्शलों की नई यूनिफॉर्म की समीक्षा करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें सैन्य शैली की वर्दी और 'पी-कैप' को लेकर राजनेताओं और पूर्व सैन्य अधिकारियों की शिकायतें मिली हैं। खबरों के अनुसार, मार्शल ने अपने लिए आधुनिक यूनिफॉर्म की मांग की थी जिसके बाद उनकी यूनिफॉर्म में ये बदलाव किए गए थे। लोकसभा में मार्शल अभी भी पुरानी पोशाक पहन रहे हैं।
1950 के बाद पहली बार बदली गई है मार्शलों की यूनिफॉर्म
बता दें कि ये पहली बार है जब 1950 के बाद मार्शलों की यूनिफॉर्म में बदलाव किया गया है। अब तक वो कलगी वाली सफेद पगड़ी और पारंपरिक पोशाक में नजर आते थे। नई यूनिफॉर्म सैन्य वर्दी से मिलती नीले रंग की है और इसके कंधे पर पट्टियां हैं, जो आमतौर पर सैन्य वर्दी में होती हैं। उनकी टोपी भी ब्रिगेडियर या उससे ऊपर के सैन्य अधिकारियों द्वारा लगाई जाने वाली टोपी जैसी है।
पूर्व सेनाध्यक्ष वीपी सिंह ने नई यूनिफॉर्म को बताया गैरकानूनी
हालांकि मार्शलों की इस नई यूनिफॉर्म पर राजनेताओं समेत कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने सवाल खड़े किए हैं। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी सिंह ने तो इसे गैरकानूनी करार दे दिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "सेना से संबंध न रखने वाले लोगों द्वारा सैन्य यूनिफॉर्म की नकल करना और पहनना अवैध है और सुरक्षा के लिए जोखिम है।" केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने भी इस आलोचना से सहमति जताई थी।
जयराम रमेश ने पूछा- क्या राज्यसभा में मार्शल लॉ लग गई है?
वहीं कांग्रेस के जयराम रमेश ने सोमवार को ही राज्यसभा में ये मुद्दा उठाया था। उन्होंने उपराष्ट्रपति नायडू से पूछा था कि क्या राज्यसभा में मार्शल लॉ लगा दी गई है। इन्हीं आलोचनाओं के मद्दनेजर अब नई यूनिफॉर्म की समीक्षा का आदेश दिया गया है।
कौन होते हैं मार्शल?
राज्यसभा के सभापति यानि उपराष्ट्रपति के बाईं तरफ जो व्यक्ति खड़ा होता है वो मार्शल होता है, जबकि दाईं तरफ खड़ा व्यक्ति डिप्टी मार्शल होता है। ये दोनों मार्शल सदन चलाने में सभापति के साथ बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनका चयन भी एक कठिन प्रक्रिया के तहत होता है जिसमें संसद के नियमों और प्रक्रियाओं के बारे में उनके ज्ञान को परखा जाता है। वो दस्तावेजों के आदान-प्रदान में भी अहम भूमिका अदा करते हैं।