राज्यसभा: पिछले सत्र में "हिंसक व्यवहार" करने के लिए 12 विपक्षी सांसद शीतकालीन सत्र से निलंबित
मानसून सत्र के आखिरी दिन हिंसक व्यवहार करने के लिए 12 विपक्षी सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। उपसभापति हरिवंश की उपस्थिति में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने विपक्ष के हंगामे के बीचा पारित कर दिया। विपक्ष ने इस निलंबन की आलोचना की है और उसे गैरजरूरी और अलोकतांत्रिक बताया है। इस संबंध में कल विपक्ष की बैठक भी होगी।
मानसून सत्र के आखिरी दिन क्या हुआ था?
मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को चर्चा के दौरान राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ था। हंगामे के दौरान विपक्षी सांसद मेजों पर चढ़ गए थे और उन्होंने कागजों और फाइलों को तितर-बितर कर दिया था। उनका मार्शलों से भिडंत भी हुई थी। सरकार ने विपक्ष पर महिला मार्शलों के साथ धक्का-मुक्की करने का आरोप लगाया था, वहीं विपक्षा ने सरकार पर बाहरी लोगों को मुलाकर महिला सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की गई।
सरकार ने कहा-सांसदों ने जानबूझकर हिंसक व्यवहार किया
मामले में जांच के लिए सांसदों की एक विशेष समिति बनाई थी और अब शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन 12 विपक्षी सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन के अपने प्रस्ताव में सरकार ने कहा है कि सांसदों ने जानबूझकर दुर्व्यवहार, अवमानना, हिंसक और अनियंत्रित व्यवहार और सुरक्षाकर्मियों पर इरादतन हमले जैसे अभूतपूर्व कदम उठाए। भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सांसदों ने सदन की मर्यादा का उल्लंघन किया था।
इन सांसदों को किया गया है निलंबित
जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, उनमें कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह, रिपुन बोरा, फूलो देवी नेताम, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और छाया वर्मा शामिल हैं। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस (TMC) के डोला सेन और शांत छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई, माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एल्मारम करीम और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनाय विस्वाम शामिल हैं। प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने निलंबन को पहले राज्यसभा चेयरमैन और फिर कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
विपक्ष ने निलंबन को नियमों के खिलाफ बताया
विपक्ष ने निलंबन को अलोकतांत्रिक बताया है और कल इस संबंध में पार्टियों के फ्लोर नेताओं की बैठक होगी। विपक्ष ने कहा कि सांसदों का ये निलंबन नियमों के खिलाफ है क्योंकि नियम 256 के तहत सांसदों को केवल बचे हुए सत्र के लिए निलंबित किया है और चूंकि मानसून सत्र 11 अगस्त को ही खत्म हो गया था, इसलिए ये शीतकालीन सत्र में निलंबन गलत है। विपक्ष निलंबन के विरोध में सत्र का बहिष्कार भी कर सकता है।