कृषि कानून लागू करने की सिफारिश: दो कांग्रेसी सांसदों ने खुद को रिपोर्ट से अलग किया
स्थायी समिति द्वारा एक विवादित कृषि कानून को लागू करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस के दो सांसदों ने खुद को इससे अलग कर लिया है। ये दोनों सांसद इस समिति का हिस्सा हैं और इनका कहना है कि उन्होंने कानून के प्रति विरोध दर्ज कराया था। वहीं 18 मार्च को समिति की बैठक की अध्यक्षता करने वाले भाजपा सांसद अजय मिश्रा तेनी ने कहा कि सभी सांसद रिपोर्ट पर सहमत हुए थे।
क्या है मामला?
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण पर संसद की स्थायी समिति का कहना है कि सरकार को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 2020 लागू कर देना चाहिए। इससे किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम मिलेंगे और उनकी आय में इजाफा होगा। वहीं किसान इस कानून के खिलाफ हैं। इस समिति में तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी आदि पार्टियों के सांसद शामिल हैं, जो इस कानून समेत तीनों नए कृषि कानूनों का विरोध कर रही हैं।
कांग्रेस सांसद शंकर उलका ने पत्र लिख किया खुद को अलग
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, राज्यसभा के सभापति और इस समिति के प्रमुख को लिखे अपने पत्र में कोरापुट से कांग्रेस सांसद शंकर उलका ने कहा कि वो स्थायी समिति की रिपोर्ट से खुद को अलग कर रहे हैं। उलका ने लिखा कि वो इन सिफारिशों से खुद को अलग करते हुए कांग्रेस की पार्टी लाइन के हिसाब से रिपोर्ट के प्रति अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैठक में भी उन्होंने कानूनों का विरोध किया था।
विरोध की टिप्पणी दर्ज किए स्वीकार की गई रिपोर्ट- उलका
उलका ने कहा कि इस मामले में ड्राफ्ट रिपोर्ट 17 मार्च शाम 7 बजे केवल ईमेल के जरिये बाकी सदस्यों तक भेजी गई थी और अगले दिन सुबह 10 बजे इसे पेश कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उनकी कानूनों के विरोध वाली टिप्पणी को दर्ज किए बिना यह रिपोर्ट पेश की गई और उस वक्त वो मौजूद नहीं थे। उलाका की तरह कासरगोड से कांग्रेस सांसद राजमोहन उन्नीथन ने भी खुद को इन सिफारिशों से अलग किया है।
उन्नीथन का क्या तर्क है?
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्नीथन ने कहा कि पर्याप्त संख्या में सदस्य उपस्थित न होने के कारण समिति की बैठक दो बार स्थगित हुई थी। इस बार 17 मार्च को बैठक बुलाई गई, जिसमें वो उपस्थित नहीं हो सके। उन्होंने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर रिपोर्ट से खुद को दूर किया है। वहीं भाजपा सांसद तेनी ने बताया कि किसी भी सांसद ने लिखित में विरोध दर्ज नहीं कराया था। सबकी सहमति के बाद रिपोर्ट स्वीकृत की गई।
तृणमूल कांग्रेस ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
इस समिति के प्रमुख तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंधोपध्याय हैं, लेकिन वो 18 मार्च को हुई बैठक में शामिल नहीं हुए थे, जिसके बाद तेनी की अध्यक्षता में यह बैठक हुई। तृणमूल कांग्रेस की तरफ से इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि भाजपा घटिया हरकतों पर उतर आई है। तृणमूल कांग्रेस की इन कानूनों पर राय साफ है। तीनों कड़े कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए।
क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम, 2020?
केंद्र सरकार जो तीन कानून लाई है, उनमें आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 भी है। इसके जरिये सरकार ने अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया है। अब कोई भी इन वस्तुओं को खरीदकर इनका भंडारण कर सकता है, जिस पर आपातकालीन स्थितियों को छोड़कर सरकार का नियंत्रण नहीं होगा। किसानों का कहना है कि इससे जरूरी चीजों की कीमतें बढ़ेंगी इसलिए यह कानून रद्द होना चाहिए।