देश में 2019 में अनसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ बढ़े अपराध- सरकार
भारत में दलितों की सुरक्षा के लिए सरकार ने अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम लागू कर रखा है। इसके बाद भी देश में दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं। साल 2019 में देश में अनुसूचित जातियों के खिलाफ होने वाले अपराधों में 7.3 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ 26.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। राज्यसभा में विपक्ष की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने यह बात स्वीकार की है।
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूछा था सवाल
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को राज्यसभा में लिखित सवाल पूछा था कि देश में साल 2019 में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध की क्या स्थिति रही और सरकार ने क्या प्रयास किए। इसमें जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि 2018 की तुलना में साल 2019 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधों में 7.3 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाजि के खिलाफ 26.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
मौजूदा प्रावधानों के दम पर ऐसे अपराधों से निपटने में सक्षम है राज्य
गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य के विषय हैं और कानून और व्यवस्था बनाए रखने, लोगों के जीवन और संपति की सुरक्षा और अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनके हाथों में हैं। उन्होंने कहा कि भले 2019 में अपराधों में इजाफा हुआ है, लेकिन राज्य सरकार ने मौजूदा प्रावधानों के दम पर ऐसे अपराधों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है।
दलितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है केंद्र सरकार
गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने कहा कि केंद्र सरकार दलितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यही कारण है कि सरकार ने अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए साल 2015 में इसमें बड़ा संशोधन कर चुकी है।
दलितों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने यह किए प्रयास
गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2015 में अधिनियम में किए गए संशोधन में अपराध की श्रेणी को बढ़ाकर मामलों की जांच को भी बढ़ाया है। इसके अलावा दलित समाज के लोगों के खिलाफ हुए अपराधों के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालते स्थापित करने के साथ लोक अभियोजकों की नियुक्ति भी गई है। विशेष अदालतों में आरोप पत्र दाखिल होने की तारीख से दो महीने में मामलों का निपटारा किया जा रहा है।
इस तरह से हुआ दलितों के खिलाफ अपराधों में इजाफा
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डाटा के अनुसार साल 2018 में अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ अपराध के कुल 42,793 मामले दर्ज हुए थे, लेकिन साल 2019 में यह संख्या 7.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 45,935 पर पहुंच गई। इनमें सामान्य मारपीट के 13,273 मामले और रेप के 3,486 मामले थे। इसी तरह 2018 में अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध के 6,528 मामले दर्ज हुए थे, जो 2019 में 26.5 प्रतिशत बढ़कर 8,257 पर पहुंच गए।