कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीन से खून के थक्के जमने का खतरा नहीं- शीर्ष सरकारी समिति
वैक्सीनेशन पर बनी सरकार की शीर्ष समिति ने कहा है कि देश में कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीन से लाभार्थियों में खून के थक्के जमने का कोई खतरा नहीं है और ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। ये दोनों वैक्सीन्स देश के वैक्सीनेशन अभियान में इस्तेमाल हो रही हैं। वैक्सीनेशन के बाद प्रतिकूल प्रभावों वाले 400 मामले की समीक्षा करने के बाद समिति ने यह बात कही है। समीक्षा की प्रक्रिया में शामिल एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
यूरोपीय देशों ने वैक्सीनेशन पर लगाई थी रोक
भारत में इस्तेमाल हो रही कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कर रही है। इस वैक्सीन को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है। कई यूरोपीय देशों में इस वैक्सीन से लाभार्थियों में खून के थक्के जमने की शिकायत सामने आई थी। इस कारण कुछ लाभार्थियों की मौत होने की बात कहकर कई यूरोपीय देशों ने इस वैक्सीन का इस्तेमाल बंद कर दिया था। इसके बाद भारत में इसकी समीक्षा की गई।
वैक्सीन से खून के थक्के जमने का मामला नहीं- अरोड़ा
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, वैक्सीनेशन के बाद प्रतिकूल प्रभावों पर बनी राष्ट्रीय समिति के सलाहकार डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि भारत में कोविशील्ड या कोवैक्सिन के कारण खून के थक्के जमने या असामान्य ब्लीडिंग के कोई मामले सामने नहीं आए हैं। उनके मुताबिक, 13 मार्च तक सामने आए प्रतिकूल और गंभीर प्रतिकूल प्रभावों वाले 412 मामलों में खून के थक्के जमने जैसा कोई मामला नहीं पाया गया है। आगे भी इन मामलों की समीक्षा जारी रहेगी।
नए सिस्टम पर भी हो रहा काम
इस समिति ने अपनी रिपोर्ट वैक्सीन प्रबंधन पर बने राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह को सौंपी है। इसके अलावा एक ऐसे सिस्टम पर भी काम किया जा रहा है, जहां राज्यों के प्रतिकूल मामलों की जानकारी देते ही तय समय में उसकी जांच की रिपोर्ट मिल जाएगी।
EMA की समीक्षा में सुरक्षित पाई गई वैक्सीन
भारत ने नीदरलैंड, थाईलैंड, नॉर्वे, डेनमार्क, आयरलैंड, आईलैंड, बुल्गारिया, लग्जमबर्ग, लिथुआनिया और लातविया जैसे देशों द्वारा एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के इस्तेमाल रोकने के बाद इसकी समीक्षा का फैसला लिया था। जर्मनी, इटली और फ्रांस आदि देशों ने भी इस वैक्सीन का प्रयोग रोक दिया था। हालांकि, यूरोपीय मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद इनमें से कुछ देशों ने इसका इस्तेमाल बहाल करने का फैसला किया था। WHO ने भी इस वैक्सीन को सुरक्षित बताया था।
सुरक्षित और प्रभावी है वैक्सीन- रिपोर्ट
EMA ने मामले की जांच के लिए समीक्षा समिति का गठन किया था, जिसने वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी बताया। EMA प्रमुख एमर कुक ने समिति की रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "समिति ने यह भी निष्कर्ष निकाला है कि वैक्सीन का खून के थक्के जमने का खतरा बढ़ने से कोई संबंध नहीं है।" हालांकि उन्होंने साफ किया कि एजेंसी थक्के की दुर्लभ समस्या होने की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं कर सकती।
देश में वैक्सीनेशन अभियान की क्या स्थिति?
देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 4,84,94,594 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 32,53,095 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। अभी वैक्सीनेशन अभियान का दूसरा चरण चल रहा है।