वैक्सीनेशन के बाद भी आएंगे कोरोना संक्रमण के चुनिंदा मामले, इन्हें चिंताजनक क्यों नहीं मानते विशेषज्ञ?
क्या है खबर?
पिछले कुछ दिनों में देश में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जब वैक्सीन लेने के बाद भी लाभार्थियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। झारखंड में ऐसा एक और बेंगलुरू में ऐसे तीन मामले सामने आए हैं।
जानकारों का कहना है कि चुनिंदा मामलों में वैक्सीन संक्रमण से भले न बचा पाए, लेकिन यह व्यक्ति को गंभीर रूप से बीमार नहीं होने देगी। इसलिए ऐसे मामलों में चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
जानकारी
वैक्सीन कैसे काम करती है?
वैक्सीन के जरिये हमारे इम्युन सिस्टम में कुछ मॉलिक्यूल्स, जिन्हें वायरस का एंटीजंस भी कहा जाता है, भेजे जाते हैं।
आमतौर पर ये एंटीजंस कमजोर या निष्क्रिय रूप में होते हैं ताकि हमें बीमार न कर सकें, लेकिन हमारा शरीर इन्हें गैरजरूरी समझकर एंटीबॉडीज बनानी शुरू कर देता है ताकि उनसे हमारी रक्षा कर सके।
आगे चलकर अगर हम उस वायरस से संक्रमित होते हैं तो एंटीबॉडीज वायरस को मार देती हैं और हम बीमार होने से बच जाते हैं।
सवाल
ऐसे मामलों के बाद क्यों लगवाई जाए वैक्सीन?
कुछ ऐसे मामले सामने आते हैं जब वैक्सीन लगवाने के बाद भी व्यक्ति संक्रमित हो जाता है। इसके चलते कई लोगों का सवाल होता है कि फिर वैक्सीन क्यों लगवानी चाहिए?
इसके जवाब में कोविड टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य डॉ सीएन मंजूनाथ कहते हैं कि वैक्सीन लेना सीट बेल्ट लगाकर एयरबैग वाली कार चलाने जैसा है। अगर हादसा होता है तो ये चीजें नुकसान कम कर देती हैं। ऐसा ही वैक्सीन के मामले में है।
फायदा
"गंभीर बीमार पड़ने से बचा सकती है वैक्सीन"
इसी तरह की बात मशहूर वायरोलॉजिस्ट डॉ जैकब जॉन कहते हैं।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगवा चुके लोग अगर संक्रमित होते हैं तो वो बहुत बीमार नहीं होंगे और उन्हें दूसरी परेशानियां नहीं आएंगी।
उन्होंने बताया, "ऐसे लोगों का घर पर इलाज हो सकता है। हमारा मुख्य उद्देश्य अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों और मृतकों की संख्या कम करने पर होना चाहिए। वैक्सीनेशन से ऐसा हो सकता है।"
जानकारी
वैक्सीन की प्रभावकारिता का क्या मतलब?
एक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ विशाल राव ने बताया कि ट्रायल में वैक्सीन की 82 प्रतिशत प्रभावकारिता का मतलब है कि वह वैक्सीन उसकी खुराक लेने वाले 82 प्रतिशत लोगों को संक्रमण से बचा सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि कई बार लैबोरेट्री के नतीजे असल दुनिया की परिस्थितियों से अलग होते हैं। इसलिए वैक्सीन की प्रभावकारिता के असली नतीजे आम लोगोें को वैक्सीन देने के बाद ही पता चलते हैं।
कारण
वैक्सीन से 100 प्रतिशत सुरक्षा क्यों नहीं मिलती?
कहा जाता है कि आज तक किसी भी बीमारी के खिलाफ बनी वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावी साबित नहीं हो पाई है।
इसकी एक वजह यह है कि वैक्सीन व्यक्ति के इम्युन सिस्टम में वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया पैदा करती है।
हर व्यक्ति का इम्युन सिस्टम अलग तरीके से काम करता है। कई मामलों में व्यक्ति के शरीर में इतनी एंटीबॉडीज पैदा नहीं पातीं कि वो वायरस का मजबूती से सामना कर सके।
जानकारी
भारतीय वैक्सीन्स कब दिखाती हैं असर?
भारत के वैक्सीनेशन अभियान में कोविशील्ड और कोवैक्सिन वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सरकार की तरफ से कहा गया है कि संक्रमण से बचाव के लिए किसी भी एक वैक्सीन की दो खुराकें लेना जरूरी है और दूसरी खुराक लेने के 15 दिन बाद शरीर में एंटीबॉडीज बनना शुरू होंगी।
डॉक्टरों का मानना है कि कई बार दूसरी खुराक लेने के बाद भी लोग वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन वो गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे।