कई सालों तक जारी रहा तो मौसमी बीमारी बन जाएगा कोरोना वायरस- संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र (UN) का कहना है कि अगर कोरोना वायरस कई साल तक जारी रहा तो यह एक मौसमी बीमारी बन जाएगा। हालांकि, उसने मौसम के आधार पर कोरोना महामारी को रोकने के लिए लागू की गईं पाबंदियों में ढील देने के खिलाफ चेताया है। 2019 के अंत में सबसे पहले चीन में सामने आने के बाद से कोरोना महामारी को लेकर कई तरह के रहस्य अब तक बरकरार है। यह महामारी 27 लाख जानें ले चुकी है।
मौसम संबंधी कारकों के असर जानने के लिए बनाई गई थी टीम
संयुक्त राष्ट्र ने कोरोना संक्रमण पर मौसम संबंधी कारकों और हवा की गुणवत्ता से पड़ने वाले असर को जांचने के लिए एक विशेषज्ञ टीम बनाई थी। इस टीम की पहली रिपोर्ट में सामने आया है कि अगर यह महामारी जारी रहती है तो कुछ सालों में यह मौसमी बीमारी बनकर रह जाएगी। UN के विश्व मौसम विज्ञान संगठन की तरफ से बनाई गई16 सदस्यीय टीम ने कहा है कि इस तरह की बीमारियां आमतौर पर मौसमी होती हैं।
श्वास नली में वायरल संक्रमण आमतौर पर मौसमी होता है- रिपोर्ट
टीम की तरफ से जारी बयान में कहा गया श्वास नली में वायरल संक्रमण आमतौर पर मौसमी होता है, जो पतझड़ और सर्दी के दौरान अपने चरम पर होता है। इससे ऐसी संभावना को बल मिलता है कि अगर कई साल तक जारी रहा तो कोरोना वायरस एक मौसमी बीमारी बनकर रह जाएगी। हालांकि, टीम ने चेताया है कि मौसम के आधार पर महामारी को रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों में ढील नहीं दी जानी चाहिए।
सरकारों के कदमों पर निर्भर रही है संक्रमण की रफ्तार- रिपोर्ट
टीम ने कहा है कि अभी तक संक्रमण की रफ्तार मौसम की बजाय सरकारों के कदमों से प्रभावित रही है। इन कदमों में मास्क अनिवार्य करना और यात्राओं पर प्रतिबंध आदि शामिल हैं। इसलिए मौसम पर निर्भर न रहने की सलाह दी जाती है।
मौसम के आधार पर पाबंदियां कम न की जाए- रिपोर्ट
इस टीम में शामिल अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के बेन जेचिक ने कहा कि इस चरण पर ऐसे कोई सबूत नहीं है, जो सरकारों को मौसम के आधार पर पाबंदियां कम करने की इजाजत दें। उन्होंने बताया कि महामारी के शुरुआती दौर में कुछ जगहों पर गर्मी के मौसम में भी मामले बढ़े थे और इस बार भी ऐसा हो सकता है। टीम ने अपने शोध में सिर्फ बाहर के मौसम और हवा की गुणवत्ता को आधार बनाया है।
इन जगहों पर ज्यादा रहता है वायरस- रिपोर्ट
टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि लैबोरेट्री में किए अध्ययनों में सामने आया है कि कोरोना वायरस ठंडी जगहों, सूखे मौसम और उन जगहों पर ज्यादा समय तक जीवित रहता है, जहां अल्ट्रावायलेट किरणें कम होती हैं, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि मौसम संबंधी कारकों का असल दुनिया की परिस्थितियों में वायरस पर कितना असर पड़ता है। इसी तरह हवा की गुणवत्ता का संक्रमण पर असर स्पष्ट नहीं हो सका है।
दुनियाभर में महामारी की क्या स्थिति?
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 12.11 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 26.80 लाख लोगों की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 2.96 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 5.38 लाख लोगों की मौत हुई है। वहीं दूसरे सबसे अधिक प्रभावित देश ब्राजील में 1.16 करोड़ संक्रमितों में से लगभग 2.84 लाख मरीजों की मौत हुई है। संक्रमितों की संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है।