इसी महीने वायुसेना में शामिल होंगे राफेल विमान, जानिये इनसे जुड़ी हर अहम बात
क्या है खबर?
लड़ाकू विमान राफेल इसी महीने भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे।
जानकारी के मुताबिक, जुलाई के अंत तक पांच राफेल विमानों का बेड़ा भारत पहुंच जाएगा और अगर मौसम ठीक रहा तो 29 जुलाई को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर इन्हें वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा।
इससे वायुसेना की ताकत कई गुना तक बढ़ जाएगी। ऐसे में इस लड़ाकू विमान की खासियत और इससे जुड़ी दूसरी बातें जानना अहम हो जाता है।
आइये, इन पर नजर डालते हैं।
जानकारी
राजनाथ सिंह को सौंपे गए थे विमान
राजनाथ सिंह को 8 अक्टूबर, 2019 को राफेल लड़ाकू विमान सौंपे गए थे। भारत में आने वाले पहले राफेल विमान के पिछले हिस्से पर 'RB 01' लिखा होगा। यहां RB का मतलब वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया है, जिन्होंने इस सौदे में अहम भूमिका निभाई है।
राफेल
काफी समय से है विमानों का इंतजार
बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक भाषण में कहा था कि राफेल विमान होते तो बेहतर नतीजे हासिल किए जा सकते थे।
उनके इस बयान को राफेल की ताकत के संदर्भ में देखा जा सकता है।
फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन इस विमान का निर्माण करती है। यह एक मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (MMRCA) है, जो भारत की हवाई ताकत में इजाफा करेगा।
वायुसेना पिछले काफी समय से इन विमानों का इंतजार कर रही है।
शुुरुआत
राफेल की शुुरुआत कहां से हुई?
न्यूज18 के मुताबिक, 1970 के दशक में राफेल की जरूरत महसूस हुई, जब फ्रांस की वायुसेना और नौसेना ने नई पीढ़ी के विमानों की कमी का जिक्र किया।
1980 के दशक के शुरुआती सालों में डसॉल्ट की स्थापना का ऐलान हुआ और 1991 में कंपनी ने विमानों की टेस्टिंग शुरू कर दी।
1992 में विमानों की पहली खेप पर काम हुआ, लेकिन राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते 1995 में यह काम ठप्प हो गया।
राफेल
कतर और इजिप्ट भी कर रहे राफेल का इस्तेमाल
दो साल बाद यहां फिर काम शुरु हुआ। बाद में 2004 और 2009 में क्रमश: 59 और 60 विमानों का ऑर्डर दिया गया। फिलहाल फ्रांस के अलावा कतर और इजिप्ट की वायुसेना राफेल का इस्तेमाल कर रही है।
बीते कुछ सालों के दौरान राफेल ने अलग-अलग अभियानों में हिस्सा लिया है।
2006-2011 तक फ्रांस की वायुसेना ने अफगानिस्तान में राफेल से कई अभियानों को अंजाम दिया था। इसके अलावा भी कई जगहों पर राफेल ने अपना हुनर दिखाया है।
राफेल डील
भारत का राफेल समझौता
भारतीय वायुसेना में राफेल को शामिल करने की प्रक्रिया 2007 से चल रही है।
अगस्त 2007 में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता में सुरक्षा खरीद समिति ने 126 लड़ाकू विमानों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
इसके बाद इसके लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू हुआ। शुरुआत में कुल 126 विमान खरीदने की योजना थी। इसके तहत 18 विमान उड़ने के लिए तैयार स्थिति में मिलने थे और बाकी भारत में ही बनाए जाने थे।
समझौता
राफेल डील को लेकर भारत में हुआ था विवाद
नीलामी में बाजी डसॉल्ट के हाथ लगी। कॉन्ट्रैक्ट मिलने के बाद 2012 में भारत सरकार और डसॉल्ट के बीच इस सौदे को लेकर बातचीत शुरू हुई।
इसके बाद भारत ने विमानों की संख्या 126 से घटाकर 36 कर दी। ये 36 विमान उड़ने के लिए तैयार स्थिति में भारत को 2019 तक मिलने थे।
विमानों की संख्या घटाने और भारत में विमानों के निर्माण न होने को लेकर राजनीतिक गलियारों में खूब हंगामा हुआ था।
स्पेशिफिकेशन
राफेल की खासियत क्या है?
राफेल एक आधुनिक लड़ाकू विमान है जो अपनी रफ्तार, हथियार रखने और आक्रमण करने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
यह सिंगल और डुअल सिटिंग केबिन के साथ उपलब्ध है। भारत ने 28 सिंगल और आठ डुअल सीट विमानों का ऑर्डर दिया है।
इसकी लंबाई 15.27 मीटर और पंखों समेत चौड़ाई 10.80 मीटर है। बिना हथियारों के इसका वजन 9,900 किलो से लेकर 10,600 किलोग्राम तक होता है। यह कुल 24,500 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है।
जानकारी
राफेल में लगे हैं दो इंजन
राफेल में दो SNECMA M88 इंजन लगे हैं। इनकी मदद से यह 1,912 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 3,700 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। इसमें 'जीरो जीरो' इजेक्शन सीट लगी है, जो जीरो स्पीड और जीरो उंचाई पर भी काम कर सकती है।
क्षमता
राफेल में लग सकते हैं ये हथियार
हथियारों की बात करें राफेल लड़ाकू विमान को हवा से हवा में और हवा से जमीन में मार करने वाली मिसाइल के साथ-साथ परमाणु हथियारों से भी लैस किया जा सकता है।
इसमें AESA राडार, SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और IRST सिस्टम लगा हुआ है।
इसके अलावा भारतीय वायुसेना की मांग पर इसमें इजरायल में बना हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, राडार वॉर्निंग रिसीव, लो बैंड जैमर्स, 10 घंटे का फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर, इंफ्रा रेड सर्च आदि सिस्टम दिया गया है।