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पाकिस्तान और चीन के खतरे से निपटने के लिए श्रीनगर में तैनात किए गए मिग-29 विमान
भारत ने श्रीनगर में तैनात किए मिग-29 विमान

पाकिस्तान और चीन के खतरे से निपटने के लिए श्रीनगर में तैनात किए गए मिग-29 विमान

Aug 12, 2023
10:39 am

क्या है खबर?

भारत ने उत्तरी सीमा पर पाकिस्तान और चीन के दोहरे खतरे से निपटने के लिए श्रीनगर बेस पर उन्नत मिग-29 लड़ाकू विमानों की एक स्क्वाड्रन तैनात की है। 'डिफेंडर ऑफ नार्थ' के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली ट्राइडेंट्स स्क्वाड्रन ने श्रीनगर एयरबेस पर हाल ही में मिग-21 स्क्वाड्रन की जगह ले ली है। गौरतलब है कि मिग-21 स्क्वाड्रन मुख्य तौर पर पाकिस्तान के खतरे से निपटने के लिए कई वर्षों तक तैनात रहा है।

बयान 

मिग-29 दोनों मोर्चों पर दुश्मन से लड़ने में सक्षम

भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर विपुल शर्मा ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, "श्रीनगर कश्मीर घाटी के मध्य में स्थित है और इसकी ऊंचाई मैदानी इलाकों की तुलना में अधिक है। ऐसे में अधिक चुनौतियों और सीमा के निकट होने के कारण कम प्रतिक्रिया समय वाला विमान रखना रणनीतिक रूप से बेहतर है।" उन्होंने आगे कहा कि मिग-29 विमान उन सभी मानकों पर खरा उतरता है, जिसके कारण दोनों मोर्चों पर दुश्मनों से लोहा लिया जा सकता है।

बयान 

हवा से हवा में ईंधन भरने में सक्षम है मिग-29 

वायुसेना के एक और स्क्वाड्रन लीडर शिवम राणा ने कहा कि मिग-29 रात में नाइट विजन गॉगल्स के साथ रात में उड़ान भरने में सक्षम है और हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमता के कारण इसकी रेंज भी लंबी है। उन्होंने कहा, "विमान में पहली बार हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियारों को भी शामिल किया है। विमान की सबसे बड़ी क्षमता पायलट हैं, जिन्हें भारतीय वायुसेना द्वारा कड़े प्रशिक्षण के बाद चुना जाता है।"

कारण 

अधिकारियों का क्या कहना है? 

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिग-21 की तुलना में मिग-29 विमान के कई अधिक फायदे हैं और इसमें संघर्ष के समय दुश्मन के विमानों की क्षमताओं को जाम करने की क्षमता भी प्रदान की गई है। बता दें कि अपग्रेड होने के बाद मिग-29 को बहुत लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियारों से भी लैस किया गया है।

हादसा 

न्यूजबाइट्स प्लस 

पिछले कुछ वर्षों में मिग-21 विमान कई बार हादसे के शिकार हो चुके हैं और उत्तरी सीमा पर इनकी जगह मिग-29 को तैनात करने का यह एक मुख्य कारण माना जा रहा है। गौरतलब मिग-21 लड़ाकू विमानों ने फरवरी, 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पैदा हुई तनावपूर्ण स्थिति में भी अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मिग-21 विमानों के साथ हुई दुर्घटनाओं में करीब 200 जवान शहीद हुए हैं और इस कारण इसे 'उड़ता ताबूत' भी कहा जाता है।