#NewsBytesExplainer: बंगाल की खाड़ी में कोको द्वीप पर चीन के सैन्य निर्माण का मामला क्या है?
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बीच अब बंगाल की खाड़ी में स्थित कोको द्वीप चर्चा में है। दरअसल, म्यांमार ने चीन को कोको द्वीप समूह पर निगरानी और सैन्य अड्डा स्थापित करने की अनुमति दे दी है। इससे भारत की चिंता बढ़ गई है। भारत ने इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए म्यांमार सरकार से चीनी गतिविधियों पर रोक लगाने को कहा है। आइए जानते हैं कि कोको द्वीप क्यों खास है और पूरा मामला क्या है।
कैसे हुई मामले की शुरुआत?
ब्रिटेन के नीति संस्थान चैटम हाउस ने अप्रैल महीने में एक शोध रिपोर्ट जारी की थी। इस शोध रिपोर्ट में कुछ सैटेलाइट तस्वीरें थीं, जिनमें देखा जा सकता था कि कोको द्वीप पर निर्माण कार्य हुआ है। शोध में कहा गया था कि हालिया सैटेलाइट तस्वीरें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि इस द्वीप पर निर्माण गतिविधियां तेज हुई हैं। ये निर्माण चीन का माना जा रहा है, जो भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है।
द्वीप पर क्या-क्या निर्माण किया गया है?
सैटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक, द्वीप पर हवाई जहाजों के लिए 2 हैंगर और लगभग 1,500 सैन्य कर्मियों के रहने लायक नए बैरकों का निर्माण किया गया है। द्वीप पर 1,300 मीटर लंबी एक हवाई पट्टी पहले से मौजूद थी, जिसकी लंबाई बढ़ाकर अब 2,300 मीटर कर दी गई है। बताया जा रहा है कि हवाई पट्टी की लंबाई इसलिए बढ़ाई गई है, ताकि इस पर बड़े सैन्य और लड़ाकू विमान उतर सके।
मामले पर भारत का क्या कहना है?
मामले पर भारत सरकार ने गंभीर आपत्ति जताते हुए म्यांमार से चीनी गतिविधियों पर रोक लगाने को कहा है। भारत ने म्यांमार को सैटेलाइट तस्वीरें भी दी थीं, जिनमें द्वीप पर जारी निर्माण गतिविधियां नजर आ रही हैं। इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आरिंदम बागची ने कहा था कि भारत उन सभी गतिविधियों पर नजर लगातार बनाए हुए है, जिनका संबंध देश की सुरक्षा से है।
भारत की आपत्ति पर म्यांमार ने क्या प्रतिक्रिया दी?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रथमदृष्टया म्यांमार के सैन्य शासकों ने इस बात से इनकार किया है कि कोको द्वीप समूह में रनवे का विस्तार, शेल्टर का निर्माण, निगरानी स्टेशनों की स्थापना या बुनियादी ढांचे के विकास में चीन की कोई भूमिका है। इससे पहले म्यांमार के प्रवक्ता जनरल जॉ मिन तुन ने कहा था कि यह बेकार बात है कि कोको द्वीप पर चीन जासूसी ढांचे विकसित कर रहा है।
भारत के लिए क्यों है खतरा?
कोको द्वीप से भारत के पूर्वी तट की निगरानी की जा सकती है। यहां से ओडिशा के बालासोर में स्थित परमाणु और पारंपरिक मिसाइल परीक्षण रेंज और अब्दुल कलाम द्वीप चीन की निगरानी में आ सकते हैं। इसका मतलब चीन न सिर्फ यहां से भारत के मिसाइल परीक्षणों पर नजर रखा सकता है, बल्कि हिंद महासागर का बड़ा हिस्सा भी उसकी निगरानी में आ जाएगा, जो भारत के लिए चिंता का विषय है।
कहां स्थित है कोको द्वीप?
कोको द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित छोटे-छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप से मात्र 55 किलोमीटर दूर उत्तर में है। इस पर म्यांमार का कब्जा है और ये म्यांमार के यांगोन मंडल में आता है। मात्र 11 किलोमीटर लंबा ये द्वीप मलक्का जलडमरूमध्य के पास में है। इस वजह से रणनीतिक रूप से भी इसकी भोगौलिक स्थिति अहम है। दूसरे विश्व युद्ध में जापानी सेना इस द्वीप का इस्तेमाल करती थी।
न्यूजबाइट्स प्लस
फरवरी, 2021 में म्यांमार की सेना ने देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की को गिरफ्तार कर तख्तापलट कर दिया था। इसके बाद से ही यहां पर सैन्य शासन है। पश्चिमी देशों ने इस शासन को अवैध घोषित किया हुआ है, लेकिन चीन इसका समर्थन करता है। चीन ने म्यांमार को लगभग 4 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता दी है। चीन-म्यांमार-बांग्लादेश गलियारा बनाने के लिए भी चीन म्यांमार को मनाने की कोशिश कर रहा है।