भड़काऊ भाषणों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र सरकार को जांच के लिए समिति बनाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने आज देश में विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होने की बात कहते हुए केंद्र को निर्देश दिया कि भड़काऊ भाषणों की जांच के लिए समिति गठित की जाए। कोर्ट हरियाणा समेत कई राज्यों में रैलियों के दौरान मुस्लिमों के लिए नारेबाजी और उनके बहिष्कार के आह्वान के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त तय की।
भड़काऊ भाषणों को कोई स्वीकार नहीं कर सकता- कोर्ट
लॉट्रेंड के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को सरकार से निर्देश लेकर 1 8 अगस्त तक समिति के बारे में सूचित करने को कहा है। पीठ ने कहा कि समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना ही चाहिए और इसके लिए सभी समुदाय जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषणों की समस्या अच्छी नहीं है और इसे कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता है।
याचिकाकर्ता वीडियो समेत सभी सामग्री नियुक्त नोडल अधिकारियों को सौंपेंगे
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह वीडियो समेत सभी साक्ष्यों को इकट्ठा कर उनको 21 अक्टूबर, 2022 के फैसले के अनुसरण के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों को भेजें। याचिका पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की ओर से दायर की गई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र को घोर नफरत भरे भाषणों पर रोक लगाने का निर्देश दे। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का हवाला दिया गया है।