जनगणना को एक बार फिर टाला गया, क्या है इसकी प्रक्रिया और इस देरी के मायने?
भारत में 2021 की जनगणना को एक बार फिर से टाल दिया गया है। महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त के कार्यालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर 30 जून, 2023 तक प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज करने के लिए कहा है। कोरोना वायरस महामारी के कारण 2020 से इसे टाला जा रहा है और इस बात की पूरी संभावना है कि अब यह जनगणना 2024 लोकसभा चुनाव के बाद ही होगी। आइए आपको जनगणना की प्रक्रिया और इसमें देरी के मायने बताते हैं।
क्या होती है जनगणना और यह पहली बार कब हुई थी?
केंद्र सरकार जनगणना के जरिए भारत की जनसंख्या और उसके विभिन्न पहलुओं की जानकारी एकत्रित करती है। अंग्रेजों के शासन के दौरान पहली बार वर्ष 1881 में जनगणना हुई थी और इसके बाद से हर 10 साल के अंतराल पर जनगणना की जा रही है। भारत की आजादी के बाद जनणगना के कार्य के लिए भारत के महारजिस्ट्रार का पद बनाया गया था। देश में आखिरी जनगणना 11 साल पहले वर्ष 2011 में हुई थी।
कैसे की जाती है जनगणना?
भारत में जनगणना का काम सरकार द्वारा नियुक्त कर्मचारी करते हैं। इसके लिए कर्मचारी घर-घर जाकर लोगों से आवश्यक जानकारी मांगते हैं। इनमें व्यक्ति का नाम, लिंग, जन्म तिथि, जन्म स्थान, वैवाहिक स्थिति और घर के सदस्यों की संख्या समेत विभिन्न प्रकार की जानकारियां शामिल हैं। जनगणना के तहत एकत्र की गई सभी निजी जानकारी गोपनीय होती हैं और इन्हें किसी के साथ भी साझा नहीं किया जाता है।
क्या भारत में पहले भी टाली गई है जनगणना?
भारत में जनगणना के 150 से अधिक वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब यह टाली गई है। 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के कारण जनगणना का डाटा जारी होने में देरी हुई थी, हालांकि तब भी समय पर डाटा जुटा लिया गया था। इसके अलावा 1961 में भारत-चीन युद्ध और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के कारण जनगणना में कुछ व्यवधान पड़े थे, लेकिन तब भी इसे कभी टाला नहीं गया था।
क्या कोरोना वायरस के चलते अन्य देशों में भी टाली गई जनगणना?
बतौर रिपोर्ट्स, कोविड महामारी के चलते सिर्फ भारत में जनगणना को टाला गया है। अमेरिका में महामारी के चरम पर होने के बावजूद 2020 में जनगणना हुई थी। इसी तरह यूनाइटेड किंगडम (UK) में आने वाले इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड में भी अलग-अलग एजेंसियों ने महामारी के दौरान तय समय पर जनगणना के लिए जानकारी जुटानी शुरू कर दी थी। भारत के पड़ोसी देश चीन में भी जनगणना की प्रकिया पूरी हो चुकी है।
जनगणना के लिए केंद्र सरकार ने क्या तैयारियां की थीं?
केंद्र सरकार ने 2019 में 2021 की जनगणना पर काम करना शुरू कर दिया था और इसके लिए 8,754.23 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। जनगणना के लिए घर-घर जाकर डाटा के संग्रह के लिए करीब 33 लाख कर्मचारियों को तैनात किया जाना था। 2021 की जनगणना दो चरणों में पूरी की जानी थी। पहला चरण सितंबर, 2020 और दूसरा चरण मार्च, 2021 में पूरा किया जाना था, लेकिन महामारी के कारण पहला चरण ही पूरा नहीं हुआ है।
इस बार की जनगणना क्यों है खास?
इस बार जनगणना मोबाइल ऐप और पोर्टल के जरिए करने की योजना है और इसे देश की पहली डिजिटल जनगणना कहा जा रहा है। इस बार जनगणना में एक मोबाइल ऐप के जरिए 16 अनुसूचित भाषाओं में डाटा इकट्ठा किया जाएगा और जनगणना से संबंधित गतिविधियों के रीयल-टाइम मैनेजमेंट के लिए जनगणना प्रबंधन और निगरानी प्रणाली (CMMS) पोर्टल का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा जनगणना करने वाले कर्मचारियों का मानदेय और ट्रेनिंग भत्ता सीधे उनके खाते में दिया जाएगा।
क्या जातिगत जनगणना भी होगी?
केंद्र सरकार ने 2018 में कहा था कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की जनगणना करवाई जाएगी। हालांकि, बाद में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में बताया कि जातिगत जनगणना मुमकिन नहीं है और इससे जनगणना प्रभावित हो सकती है। वर्तमान में सिर्फ अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) का डाटा जनगणना में शामिल किया जाता है। बिहार ने अपने स्तर पर जातिगत जनगणना शुरू की है।
जनगणना में देरी के क्या मायने हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक, 1881 के बाद से हर 10 साल पर जनगणना हो रही है और इसके चलते डाटा का तुलनात्मक अध्यन करना आसान होता है। समय पर जनगणना नहीं होने के कारण इस डाटा में एक गैप विकसित हो जाता है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुताबिक, किसी देश के आर्थिक और सामाजिक कल्याण के लिए तय समय पर जनगणना होना जरूरी है। जनगणना के कारण वर्तमान का वर्णन और भविष्य का अनुमान लगाना संभव होता है।
जनगणना में देरी से क्या नुकसान हो सकते हैं?
जनगणना में देरी होने के कारण 10 करोड़ से अधिक वंचित लोगों के खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मुफ्त अनाज की सुविधा से वंचित रहने की संभावना है। वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2013 में भारत में 80 करोड़ लोग मुफ्त में राशन लेने के लिए योग्य थे, जबकि जनसंख्या में अनुमानित बढ़ोतरी के साथ अब तक यह आंकड़ा 92.2 करोड़ तक पहुंच चुका होगा। अन्य योजनाओं पर भी यही असर देखने को मिलेगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
अभी भारत की आबादी 1.40 अरब से अधिक है और वह दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस साल चीन को पीछे छोड़ सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। रिपोर्ट में 2050 तक भारत की आबादी 1.668 अरब पहुंचने का अनुमान लगाया गया है, वहीं तब चीन की आबादी 1.317 अरब होगी। एक अन्य अध्ययन के अनुसार, 2100 तक भारत की आबादी 41 करोड़ घट सकती है।